धान में माहो, शीथ ब्लाइट और तना छेदक का प्रकोप
बिलासपुर। बादल और बारिश। धान की फसल में आएंगे बदरा दानें। इसके अलावा कीट प्रकोप को भी न्यौता मिल चुका है। यह सभी कारक, रबी सत्र में ली जा रही धान की फसल में पांच फ़ीसदी गिरावट ला सकते हैं।
मौसम का बदला स्वरूप धान की तैयार हो रही फसल के लिए खतरा बनता नजर आने लगा है। संकेत उस कीट के प्रवेश से मिल चुका है, जिसे माहो के नाम से जाना जाता है। कीटनाशक बेचने वाली दुकानों में पहुंचती शिकायतों के बाद कृषि विभाग बहुत जल्द फसल आकलन की योजना बना रहा है।

प्रवेश माहो का
रबी सत्र में ली जा रही धान की फसल में अब माहो ने प्रवेश कर लिया है। साथ ही तना छेदक और शीथ ब्लाईट का भी फैलाव देखा जा रहा है। इन तीनों के पहले गलघोटूं, नुकसान पहुंचा चुका है। ऐसे में यह कीट हानि का प्रतिशत बढ़ा सकते हैं। बचाव के लिए किसान कीटनाशक दुकानों से जरूरी दवाएं खरीद रहे हैं। जहां आवश्यक मार्गदर्शन और हानि कम करने के उपाय बताए जा रहे हैं।

आशंका बदरा की
बादल और बारिश। रबी फसल के लिए बेहद हानिकारक माने जाते हैं। परिपक्व होने की अवधि में पहुंच रही धान की फसल को अब तेज धूप की आवश्यकता है लेकिन बीते एक पखवाड़े से यह निरंतर नहीं है। ऐसे में दाने परिपक्व नहीं हो पाएंगे। यही वजह बदरा का प्रतिशत बढ़ा सकता है। उपाय सिर्फ एक, वह है तेज धूप का होना। जो कि फिलहाल दूर ही है।

उत्पादन में कमी की आशंका
धान की तैयार हो रही फसल में जिस तेजी से कीट प्रकोप फैलाव ले रहा है, और बदरा दानों के आने के आशंका बलवती हो रही है, उससे कुल उत्पादन में 5% गिरावट के आसार बनते नजर आ रहे हैं। यह नुकसान तब और भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा जब फसल तैयार होकर किसानों तक पहुंचेगी। यह भी तय माना जा रहा है कि गुणवत्ता मानक स्तर पर नहीं पहुंच पाएगी।
आशंका उत्पादन में कमी की
चालू रबी सत्र में मौसम जैसा बना हुआ है, वह अब धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला बन चुका है। कीट प्रकोप तो होगा ही साथ ही बदरा की शिकायतों का आना देखा जा सकता है। इसे समग्र रूप से उत्पादन में कमी के रूप में देखा जा सकता है।
-डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर