उपभोक्ता मांग गिरावट की राह पर
बिलासपुर। अरहर पटका 165 से 175 रुपए। चालू 155 से 157 रुपए। दाल में आ रही तेजी दीर्घ अवधि तक बनी रहने की आशंका है। ऐसे में मांग का दबाव बटरी और तिवरा दाल पर देखा जा रहा है लेकिन इन्होंने भी अपनी कीमत क्रमशः 74 से 75 और 65 रुपए किलो बता दी है।
उपभोक्ता ही नहीं, दाल प्रसंस्करण इकाइयों को भी दलहन में आ रही तेजी ने परेशान कर दिया है। कच्चे माल की खरीदी में इकाइयों को, जहां ज्यादा पूंजी लगानी पड़ रही हैं, वहीं तैयार उत्पादन के लिए कमजोर उपभोक्ता मांग का सामना करना पड़ रहा है। यह ऐसा संकट है, जिससे उबरने की राह नजर नहीं आ रही है।
ऐसा है बेस्ट पटका
गुणवत्ता का मानक पूरा करती है भाटापारा से आने वाली अरहर की दाल। यही वजह है कि संभाग के हर जिले की पहली मांग, इसी शहर से पहुंचने वाली दाल में ही होती है। मांग में हमेशा बनी रहने वाली यह दाल, इस समय होलसेल काउंटरों तक 165 से 175 रुपए किलो की दर पर पहुंच रही है। जबकि अरहर की सामान्य दाल 155 से 157 रुपए किलो पर है। क्रय शक्ति से ज्यादा मानी जा रही इस कीमत के बाद अरहर खंडा में मांग का दबाव बढ़त की ओर महसूस किया जा रहा है।

विकल्प भी महंगे
भोजन की थाली में कम ही नजर आती है बटरी और तिवरा की दाल। लेकिन ताजा स्थितियों में दलहन की यह दोनों किस्में दबाव में हैं क्योंकि कच्चे माल की खरीदी ऊंची कीमत देकर की जा रही है। ऐसे में बटरी की दाल थोक बाजार में 74 से 75 रुपए और तिवरा की दाल 65 से 70 रुपए किलो की दर पर पहुंच रही है। धारणा इन दोनों में भी तेजी की ही है क्योंकि प्रतिस्पर्धी खरीदी का दौर चला हुआ है।
उबल रहे यह भी
होटल और ढाबे। चना दाल के लिए सबसे पहला मांग क्षेत्र। दलहन की यह किस्म भी गर्म हो चुकी है। 75 से 80 रुपए किलो की दर पर चना दाल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। मसूर की दाल 80 से 85 रुपए किलो पर पहुंच गई है, तो मूंग मोगर 105 से 115 रुपए किलो और उड़द मोगर में होलसेल काउंटर 100 से 105 रुपए किलो की दर पर सौदे कर रहे है। तेजी की आशंका दलहन की इन किस्मों में भी बनी हुई है।

हम किसी से कम नहीं
मिक्स दाल, मतलब मिंझरा दाल। इसी नाम से पहचानी जाने वाली यह दाल भी अब मांग के दबाव में है। निम्न आय वर्ग के उपभोक्ताओं का सहारा, यह दाल यदि नजरों के सामने बनवाया गया, तो कीमत देनी होगी, 100 से 110 रुपए किलो। पूर्व में तैयार में मिंझरा दाल 80 से 100 रुपए किलो पर पहुंची हुई है। यानी दलहन की यह किस्म भी तेजी के घेरे में आ चुकी है।