मुरमुरा की तेजी पर लगा ब्रेक
बिलासपुर। अब और तेज नहीं होगा मुरमुरा। निश्चित मानकर चल रही मुरमुरा और लाई उत्पादक इकाइयों का पूरा ध्यान अब लोकल मार्केट पर है, जहां से मांग में निरंतरता बनी हुई है।
तेज चल रही खाद्य सामग्रियों में मुरमुरा की कीमतें अब स्थिरता का संकेत दे रही है क्योंकि अंतरप्रांतीय कारोबार तेजी से घटते क्रम पर है। संभावना थी भाव में टूट की लेकिन मुरमुरा क्वालिटी का धान, अभी भी काफी तेज माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में कमजोर मांग के बावजूद मुरमुरा को महंगा ही माना जा रहा है।

साथ छूटा अकोला का
छत्तीसगढ़ में उत्पादित मुरमुरा के लिए हमेशा से महाराष्ट्र के अकोला को बड़ा उपभोक्ता बाजार माना जाता है लेकिन अब यह बाजार गुजरात के हाथों में जा चुका है। ऐसे में प्रदेश की मुरमुरा उत्पादन करने वाली इकाइयों को नए उपभोक्ता बाजार की खोज करनी पड़ रही है। यह इसलिए क्योंकि कुल उत्पादन का लगभग 75 फ़ीसदी हिस्सा बच जा रहा है।

सहारा बन रहे यह
कच्चे माल की ऊंची कीमत। तैयार उत्पादन की कमजोर मांग। संकट के दौर से गुजर रहे मुरमुरा को पहला साथ स्थानीय मांग से मिलता नजर आ रहा है। सारा दिन स्कूलों के सामने और शाम को मसाला मुरमुरा बेचने वाले स्ट्रीट फूड काउंटरों की मांग, भले ही सीमित हो लेकिन बेहतर भविष्य की संभावना वाले क्षेत्र माने जा रहे हैं। इसलिए फोकस इस क्षेत्र पर ही है इकाइयों का।

साथ, मकर संक्रांति का भी
मकर संक्रांति की मांग निकलने लगी है। बड़ा सहारा इसे भी माना जा रहा है। बाद के दिनों में घरेलू मांग से मदद की आस में है इकाइयां। मुरमुरा तो मांग में रहेगा लेकिन उस लाई का प्रबंधन कठिन हो रहा है, जो भंडारण की स्थिति में है। ऐसे में परंपरागत लाई उपभोक्ता से संपर्क किया जा रहा है।

ऐसी है कीमत
मुरमुरा और लाई क्वालिटी का धान 2100 से 2300 रुपए क्विंटल। तेजी इसमें बनी रहेगी। इस धारणा के बीच उत्पादित लाई की थोक कीमत 5000 से 5100 रुपए क्विंटल पर चल रही है। मुरमुरा में होलसेल में सौदे 4500 से 4600 रुपए क्विंटल पर होने की खबर है। ठंडी मांग के मद्देनजर मुरमुरा में स्थिरता के संकेत मिल रहे हैं।