घट रहा रकबा बारीक धान का
भाटापारा। घट रहा रकबा, बढ़ रही कीमत बारीक धान की। हालत ठीक दुबराज जैसी बनती देख, चावल मिलों के बीच प्रतिस्पर्धी खरीदी का दौर चलने लगा है। यही वजह है कि बारीक धान और चावल में तेजी आ रही है।
हैरत में हैं चावल मिलें और ट्रेडर्स, यह देखकर कि बारीक धान की आवक बीते साल की तुलना में कम कैसे है ? जानकारी लिए जाने पर यह बात सामने आ रही है कि बारीक धान की बोनी इस सत्र में किसानों ने कम रकबे में की थी। यह इसलिए क्योंकि मोटा धान की खरीदी कहीं ज्यादा कीमत में की जा रही है। इसलिए मोटा धान का रकबा किसानों ने बढ़ा दिया है।

इसलिए रकबा कम कर रहे
मोटा धान की कीमत, बारीक धान की तुलना में कहीं ज्यादा है। सरकार ने प्रति एकड़ खरीदी की मात्रा भी बढ़ा दी है। एक मुश्त भुगतान जैसी सुविधा से भी किसान प्रभावित हो रहें हैं। इसके अलावा बारीक धान के लिए सिंचाई पानी की जरूरत भी अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। यह कुछ ऐसी वजह है, जिसने बारीक धान का रकबा कम करने को विवश किया हुआ है।
पहला असर यहां
कृषि उपज मंडी। अंबिकापुर, पेंड्रा रोड, कटघोरा, कोरबा, बिलासपुर, कसडोल, पलारी और सीमावर्ती जिला कवर्धा। यह ऐसे क्षेत्र है जहां के किसान विष्णुभोग, श्रीराम और एचएमटी धान की खेती करते हैं। इन क्षेत्रों से आ रहे किसानों ने रुझान, अब महामाया और सरना की खेती की ओर दिखाना चालू कर दिया है। ऐसी स्थिति के बीच आ रही उपज में तेजी का दौर चल रहा है।

कड़ी प्रतिस्पर्धा
बारीक चावल में अंतरप्रांतीय कारोबार भी करतीं हैं राईस मिलें। ऐसे में पूरे साल की मांग को ध्यान में रखते हुए खरीदी की जा रही है लेकिन घटते रकबा के बाद कमजोर आवक से कीमत बढ़ने लगी है। इसके अलावा स्टॉकिस्टों की खरीदी भी निकली हुई है। यह भी कीमत को बढ़ा रही है।
भविष्य तेजी सूचक
विष्णुभोग, सियाराम और एचएमटी। बारीक धान की यह तीनों प्रजातियां अगले बरस तक तेज ही बनी रहेंगी क्योंकि मांग के अनुरूप उपलब्धता धीरे-धीरे कम होने के आसार हैं। चावल पर भी असर बढ़ी हुई कीमत के रूप में देखा जा सकता है। विकल्प के तौर पर अन्य प्रजातियां तो हैं लेकिन फसल को लेकर रुझान, किसान दिखाएंगे या नहीं ? फिलहाल यह यक्ष प्रश्न है।