नई सरकार से राहत का इंतजार
भाटापारा। नफा नहीं, तो नुकसान भी नहीं। सामान्य होते परिचालन के बीच अब पोहा मिलें राहत की सांस लेती नजर आ रहीं हैं लेकिन पोहा क्वालिटी के धान की खरीदी अभी भी तेजी में करनी पड़ रही है। प्रतीक्षा है, उस दिन की जब धान की कीमत में अपेक्षित कमी आएगी।
पोहा में मांग के दिन चालू हो चुके हैं। लोकल डिमांड के बीच उपभोक्ता राज्यों की खरीदी निकलने से रुक-रुक कर चल रहे पोहा मिलों के पहिए, लय में आने लगे हैं। रुकावट केवल धान में तेजी के बने रहने से आ रही है। नई सरकार के गठन के बाद राहत पहुंचाने वाले नीतिगत फैसलों की प्रतीक्षा में हैं, पोहा मिलें। सबसे ज्यादा उम्मीद शहर की पोहा मिलों को हैं क्योंकि अंतरप्रांतीय कारोबार में अहम हिस्सा रखती हैं, यहां की इकाईयां।

पहली बार उत्तर प्रदेश
हमेशा से बड़ी मांग वाले उपभोक्ता राज्य रहे हैं महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश। अब इसमें उत्तर प्रदेश की भी हिस्सेदारी देखने में आ रही है। परंपरागत राज्यों के बाद पांचवे उपभोक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश ने भी खरीदी चालू कर दी है। सीमित मात्रा में ही सही लेकिन उत्साह बढ़ाने वाली मानी जा रही यहां की मांग। ऐसे में मांग के अनुरूप गुणवत्ता का दिया जाना चालू हो चुका है।
प्रतीक्षा धान में मंदी की
पोहा क्वालिटी का महामाया धान अभी भी तेज ही माना जा रहा है। ऐसे में पोहा की कीमत का बढ़ना स्वाभाविक है। मंडी प्रांगण में पहुंच रहे पोहा क्वालिटी के महामाया धान की खरीदी, पोहा मिलों को 2100 से 2400 रुपए क्विंटल की दर पर करनी पड़ रही है। समर्थन मूल्य पर चल रही खरीदी की वजह से वैसे भी आवक कमजोर ही है। ऐसे में प्रतिस्पर्धी खरीदी भी कीमत बढ़ा रही है।

3700 से 4200 रुपए
नफा नहीं तो नुकसान भी नहीं। इस स्थिति के बीच पोहा मिलों का संचालन सामान्य हो रहा है। हानि जैसी स्थिति फिलहाल तो नहीं है लेकिन लाभ भी नहीं हो रहा है। अच्छे दिन और अच्छा लाभ के इंतजार में फिलहाल पोहा 3700 से 4200 क्विंटल पर चल रहा है। डिमांड भी सामान्य है।
प्रतीक्षा राहत भरे फैसले की
पोहा में फिलहाल स्थिति सामान्य है। प्रतीक्षा की जा रही है, नई सरकार के राहत भरे निर्णय की, जिससे इकाइयों का संचालन आसन हो सके।
- रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा