लगते हैं फल साल में दो बार
बिलासपुर। सितारे की तरह दिखता है। इसलिए नाम है स्टार फ्रूट। पहचाना जाता है, अमरस और कमरख के नाम से। हैरत वाली बात यह है कि इसके पेड़ में साल में दो बार यह फल लगता है।
कम हो रहे हैं स्टार फ्रूट के वृक्ष। जो हैं उनके संरक्षण और संवर्धन को लेकर कहीं कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई देती। इसलिए वानिकी वैज्ञानिकों ने इस पर काम करना चालू कर दिया है ताकि बचाई जा सके यह प्रजाति। इस प्रयास के पीछे, इसके फलों में महत्वपूर्ण औषधीय गुण हैं, जिनकी मदद से रोजमर्रा की व्यस्त दिनचर्या में आने वाली स्वास्थ्यगत परेशानियां दूर की जा सकतीं हैं।इसलिए स्टार फ्रूट

इसलिए स्टार फ्रूट
एक साल में दो बार फल लगते हैं। हल्का हरे रंग का होता है फल। पकने के बाद यह हल्का पीला हो जाता है। सितारे की तरह दिखाई देने वाला यह फल काटने के बाद एकदम सितारे की तरह नजर इसलिए आता है क्योंकि प्रकृति ने इसे ऐसा ही स्वरूप दिया है।

दूर रहेंगी यह बीमारियां
होता है भरपूर साइट्रिक एसिड। इसलिए सेवन से गैस और अपच जैसी स्वास्थ्यगत समस्याएं नहीं होतीं। विटामिन डी और सी की प्रचुर मात्रा होना भी प्रमाणित हुआ है। मैग्नीशियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट जैसे महत्वपूर्ण मेडिशनल प्रॉपर्टीज की वजह से हार्टअटैक, खून का जमना जैसी परेशानियां नहीं होतीं। सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का बढ़ना भी प्रमाणित हुआ है।

कैंसर का ब्रेकर
बीटा कैरोटीन की प्रचुरता ने इस फल को कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने वाला बनाया हुआ है। अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण इस खुलासे के बाद अब इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए गंभीरता के साथ, न केवल प्रयास किए जा रहे हैं बल्कि नए वृक्ष तैयार करने के प्लान पर भी काम चालू हो चुका है।

बनती हैं यह खाद्य सामग्री
महानगरों में अब स्टार फ्रूट से फ्रूट चाट और स्ट्रीट फूड भी बनने लगे हैं। पांच सितारा होटलों में इसका सलाद परोसा जाने लगा है। स्नैक्स, ड्रिंक्स, सॉस और चटनी भी परोसी जा रही है।विटामिन सी का महत्वपूर्ण स्रोत

विटामिन सी का महत्वपूर्ण स्रोत
स्टार फ्रूट जिसे कैरम्बोला भी कहा जाता है, ‘एवरहोआ कैरम्बोला’ पेड़ का फल है। यह एक स्वादिष्ट, पौष्टिक फल है जिसमें कैलोरी कम होती है किंतु विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होता है। जिन लोगों को किडनी की समस्या है, उन्हें इस फल को खाने के पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर