कमजोर मांग का कर रहा सामना
भाटापारा। उम्मीद थी दगड़ी में मांग बनी रहने की लेकिन यह अब टूट चुकी है। पोहा का सह-उत्पादन माना जाने वाला दगड़ी इस कदर कमजोर मांग का सामना कर रहा है कि अब अपनी जगह बचाए रखना पहली प्राथमिकता के रूप में देखी जा रही है।
पोहा की मांग टूटने के बाद अब तेजी से संकट में आ रहीं हैं पोहा मिलें क्योंकि दगड़ी की मांग घट रही है। संकट के मौके पर सहारा बनने वाली यह सामग्री जिस तेजी से नीचे जा रही है, उससे पोहा मिलें दोहरे संकट में आ चुकी हैं। फौरी राहत के सारे रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि दगड़ी को भी कमजोर मांग का सामना करना पड़ रहा है।

यह नया बदलाव
पोहा में मिलती टक्कर के बाद अब दगड़ी में कमजोर मांग का सामना करना पड़ रहा है, प्रदेश की पोहा मिलों को। भाव में जैसा बाजार होना बताया जा रहा है, वह प्रदेश की दगड़ी को आगे बढ़ने से रोक रहा है। इसमें नीचे जाने की संभावना इसलिए कम है क्योंकि पोहा क्वालिटी के धान की कीमत तेज है।
यह है उपभोक्ता
पोहा की तरह दगड़ी का भी बड़ा उपभोक्ता माना जाता रहा है महाराष्ट्र को। यहां से मांग निरंतर घटते क्रम पर है। दूसरी मांग वाला क्षेत्र मिक्चर और पैक्ड मसाला चिंवड़ा बेचने वाली इकाइयां हैं। इनकी भी मांग कम होती जा रही है। यह स्थिति जिस तरह फैलाव ले रही है, उससे पोहा मिलें दोहरे संकट का सामना कर रहीं हैं।

इस कीमत पर भी ठंडा
3050 से 3400 रुपए क्विंटल। दगड़ी की यह कीमत सही मानी जा रही है क्योंकि पोहा क्वालिटी का धान बेहद तेज भाव में खरीदा जा रहा है। गुणवत्ता में मध्यप्रदेश के मुकाबले छत्तीसगढ़ अभी भी आगे हैं लेकिन कीमत आगे बढ़ने से रोक रही है। अनुकूल समय याने अच्छे दिन का इंतजार अब दगड़ी को भी है।
मांग बेहद कमजोर
अब दगड़ी में कमजोर मांग की स्थिति है। धान की कीमत तेज होने से उत्पादन की कीमत का बढ़ना स्वाभाविक है। इसलिए उठाव बेहद कमजोर है।
– रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा