नकली बाल का साइड इफेक्ट… !
जो सुलगा उस धुंए से उपजे कालिख में कालर तो काली हो ही गई...
रतनपुर । मंदिरों और तालाबों के इस ऐतिहासिक शहर में आए दिन अजबगजब किससे सुनने और सुनाने को मिलते रहते हैं। आज कल नकली बाल वाले कांग्रेस नेता की जमकर चर्चा है।उनको गुस्सा क्यों आया…! गुस्सा आया तो गुस्से में पीटा कि खुद ही पिट गए…! मामला ट्रस्ट से जुड़ा था सो संभल गया। पर शुरू हो रहे चुनावी चर्चों के सीजन में ऐसी चर्चे पर लगाम थोड़े न लगता है। मौका मिलते ही बजा जाते हैं… दावेदारी ज्यादा हो तो बिना सूत कपास के भी लठालठ हो ही जाती है । ऐसे में सच क्या है जो भोगे सो जाने… आप भी बुझे, शायद थोड़ा सच झाकने लगे…
शहर में इन दिनों नवरात्रि पर्व की धूम है। मां महामाया मंदिर में हजारों की संख्या में मनोकामना के दीप प्रज्ज्वलित है। प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव भी होने है। ऐसे में सत्ता और प्रतिपक्ष के नेता अपनी मनोकामना के दीप प्रज्ज्वलित कर उम्मीदों की मन्नत पूरी कराने मत्था टेकने पहुँच रहे हैं। इनसे जुड़े जान पहचान के कार्यकर्ता नेता भी सत्कार तिमारदारी कर रहे हैं। ऐसे ही एक नकली बाल वाले कांग्रेस नेता अपने करीबी लोगों को भंडारा का भोग खिलाने लेकर गया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मौके पर सन्नाटा पसरा था भोग खिलाने वाले नदारद थे । नेता, ट्रस्ट्रियों का मुंहलगा है सो सब कुछ अपना जान करीबियों को भंडारा का भोग लगे परोसने। इसी दौरान भंडारा के कर्ताधर्ता भी पहुँच गए। नकली बाल के फेर में हो गई चूक, बिना जान-पहचान हो गई ऊंच-नीच। इज्जत की ढोल फटते देख, आ गया गुस्सा कांग्रेस नेता को। हो गई गुत्थम-गुथ…! चर्चा आम है, पर सच अब भी राज है। लोग पूछ रहे हैं कि पिटे की पीटें…! कारिंदे और मुंहलगे का मामला था सो सुलट गया। पर जो सुलगा उस धुंए से उपजे कालिख से कालर तो काली हो ही गई…! चुनावी सीजन है संभलकर बाबू …