तैयार हुई गेहूं की नई प्रजाति, कनिष्का और छत्तीसगढ़ गेहूं-4

बढ़ते तापमान में भी होगी फसल



बिलासपुर। अब मार्च-अप्रैल में बढ़ने वाले तापमान के बीच भी गेहूं की फसल तैयार होगी। अनुसंधान में ऐसी दो प्रजातियां तैयार करने में सफलता मिली है, जिन्हें कनिष्का (सी जी 1029 ) और छत्तीसगढ़ गेहूं-4 (सी जी 1015) के नाम से जाना जाएगा। बड़ी राहत यह कि इसकी बोनी विलंब (दिसंबर माह)से भी की जा सकेगी।

जलवायु परिवर्तन के साथ अब मार्च और अप्रैल के महीने भी तपने लगे हैं। बड़ा असर उस खेतीहर भूमि पर दिखाई दे रहा है, जिसमें गेहूं की फसल ली जाती है। रसातल में पहुंचता पानी और गायब होती नमी से गेहूं की फसल पुष्पन की अवधि में ही सूखने की जानकारी आने के बाद देश और प्रदेश स्तर पर जो अनुसंधान हुए हैं उसमें आखिरकार ऐसी प्रजातियां तैयार करने में सफलता मिल गई है, जिनमें ताप सहनशीलता का अनोखा गुण है।

कनिष्का(सी जी-1029)

पुष्पन के उपरांत ताप सहनशील सूचकांक में 0.48 अंकों के साथ सर्वोच्च ताप सहनशील प्रजाति में शामिल किया गया है, कनिष्का (सी जी- 1029 ) को। दिसंबर माह में भी विलंब से बोई जाने वाली यह प्रजाति औसत उत्पादन 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर क्षमता के साथ अपनी समकक्ष प्रजातियों से आगे है। 12% प्रोटीन युक्त कनिष्का से बनने वाली रोटी उत्तम मानी जा चुकी है।

यहां के लिए अनुशंसित

कनिष्का (सी जी- 1029 )को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग के लिए अनुशंसित किया गया है। उत्तर प्रदेश का झांसी संभाग भी इससे लाभान्वित होगा।

छत्तीसगढ़ गेहूं-4 (सी जी- 1015 )

पुष्पन के बाद ताप सहनशील यह प्रजाति सूचकांक में 0.4 अंकों के साथ सर्वोत्तम सहनशील प्रजाति है। देर से याने दिसंबर माह में इसकी बोनी की जा सकेगी। मध्यम मोटा दाना वाली इस प्रजाति में भी 12% प्रोटीन होता है। विलंब से बोई जाने वाली यह प्रजाति प्रति हेक्टेयर 53.3 क्विंटल औसत उत्पादन देने में सक्षम है। अपनी समकक्ष प्रजातियों की तुलना में बेहतर उत्पादन देती है।

यहां के लिए अनुशंसित

अनुसंधान के बाद छत्तीसगढ़ गेहूं-4 (सी जी- 1015 )को संपूर्ण छत्तीसगढ़ प्रांत के लिए अनुशंसित किया गया है याने प्रदेश के हर क्षेत्र के किसान इस प्रजाति की फसल ले सकेंगे।

यहां हुआ तैयार

अखिल भारतीय समन्वित गेहूं एवं जौ अनुसंधान परियोजना , बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र बिलासपुर में कनिष्का (सी जी-1029) और छत्तीसगढ़ गेहूँ 4 (सी जी-1015 )के नाम से गेहूं की नई प्रजाति तैयार की गई है।

छत्तीसगढ़ के मौसम के अनुकूल

गेहूं की खेती के लिए छत्तीसगढ़ का मौसम, मध्य भारत एवं उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों की अपेक्षा कम अनुकूल है। कम अनुकूल वातावरण में अनुसंधान कर वातावरण की विषमताओं में अच्छी उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्मों का विकास इं गां कृ विवि के बिलासपुर केंद्र द्वारा किया गया है।
– डॉ. ए पी अग्रवाल, प्रिंसिपल साइंटिस्ट (प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर