“छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की क्षमता एवं संभावनाएं” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य में मसालों की खेती की व्यापक संभावनाएं है । किसान मसाला व सुगंधित फसलों की खेती करते हैं तो उनकी आय बढ़ेगी। किसान समृद्ध होंगे तो देश समृद्ध होगा। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की सिफारिशें एवं अनुशंसा राज्य के किसानों के लिए लाभकारी होगी। यह बात मुख्य अतिथि प्रो. आलोक चक्रवाल, कुलपति, गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने कही।
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर में “छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की क्षमता एवं संभावनाएं” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। समापन व पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अधिष्ठाता डॉ. आर. के. एस. तिवारी ने अतिथियों का स्वागत सम्मान पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर किया । मुख्य अतिथि प्रो. चक्रवाल कहा छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। धरती को मैं मां के रूप में देखता हूं । वास्तव में किसान ही धरतीपुत्र है और धरती माता का जतन एक किसान ही जिम्मेदारी पूर्वक कर सकता है। धरती मां सोना उगलती है, कनक गेहूं के रूप में।

वनों के संरक्षण व संवर्धन से बची रहेगी मसाला एवं सुगंधित फसलों की विविधता
विशिष्ट अतिथि आनंद मिश्रा, सदस्य प्रबंध मंडल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने कहा किसान अपने कर्म को भूमि पर उतारता है । किसी भी देश को बनाए रखने में गांव मुख्य इकाई होती है । गांव ही किसी देश को बना सकता है या बिगाड़ सकता है। गांव का विकास होगा तो देश का विकास होगा। देश की प्रगति एवं उन्नति के लिए गांवों को होना जरुरी है। किसान भाई खेती का कार्य निर्भीक होकर करें। वनों के दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ राज्य बहुत ही समृद्ध है । हमें वनों का संरक्षण एवं संवर्धन करना होगा तभी राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की विविधता बनी रहेगी।

50 फसलों की 156 किस्में विकसित
विशिष्ट अतिथि डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक अनुसंधान सेवाएं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने कहा विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक 50 फसलों पर अनुसंधान कार्य किया गया। जिनसे 156 किस्में विकसित की गई है। ज्यादा उत्पादकता देने वाली फसलों पर अनुसंधान कार्य जारी है । विश्वविद्यालय के अंतर्गत 35 कृषि महाविद्यालय व 28 कृषि विज्ञान केंद्र संचालित है। हमारे महाविद्यालयों में 12,000 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है । भारतवर्ष के 72 कृषि विश्वविद्यालयों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की रैंकिंग में हम श्रेष्ठ 20 विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आते हैं। राज्य में किसानी प्रतिशत लगातार कम हो रहा है । आवश्यकता है लोगों को कृषि के प्रति जागरूक कर लाभ प्रदान किया जाए। छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला फसलों पर अनुसंधान के लिए मसाला बोर्ड द्वारा सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र के रूप में पुरस्कृत किया गया है।

शोधार्थियों ने पढ़े 135 शोध पत्र
अधिष्ठाता डॉ. आर.के.एस. तिवारी ने बताया कि दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 6 तकनीकी सत्रों में आयोजित की गई जिसमें मसाला एवं सुगंधित फसलों की उत्पादन तकनीक, पोषक तत्व प्रबंधन, नींदा नियंत्रण एवं आर्थिकी, फसल सुधार एवं नई किस्म का विकास, जैविक एवं अजैविक दबाव, कीट-व्याधि, जैविक कृषि, जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशी का उपयोग, गुणवत्ता निर्धारण, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन मुख्य थे । इन 6 तकनीकी सत्रों में शोधकर्ताओं ने लगभग 135 शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त पोस्टर सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने पोस्टर के माध्यम से प्रस्तुति दी । दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी से प्राप्त अनुशंसा एवं सिफारिशें अत्यंत उत्साहवर्धक एवं लाभकारी है जो कि छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की खेती के द्वार खोलती है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में श्रेष्ठ मौखिक शोध पत्र प्रस्तुत करने पर डॉ. विनोद कुमार निर्मलकर, डॉ. एस. टी. इंगोले तथा डॉ. सोनल कुमार चंद्राकर को क्रमशः प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने पर स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया ।

स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र वितरित
पोस्टर में तकनीकी सत्र – I में एच.एस. टुटेजा, प्रज्ञा उईके तथा डीपी सिंह को क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान, तकनीकी सत्र -II में डॉ. नेहा बेहार को प्रथम तथा डॉ. रोशन परिहार को द्वितीय, तकनीकी सत्र – III में अंजलि कौशिक, डॉ. सागर आनंद पांडे तथा डॉ. सोनल कुमार चंद्राकर को क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान, तकनीकी सत्र – IV में गंगाराम, मधु कुमारी तथा यश साहू को क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान, तकनीकी सत्र – V में भागवत कुमार, के.एल. ठाकुर व दुर्गेश्वरी को प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने पर मुख्य अतिथि द्वारा स्मृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया।

सौ प्रतिभागी हुए शामिल
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा राज्य भर में स्थित महाविद्यालयों से लगभग 100 प्रतिभागियों तथा विभिन्न जिलों से पधारे लगभग 400 पुरुष तथा महिला कृषकों ने अपनी सहभागिता की । इस अवसर पर राज्य के कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अधिष्ठाता, प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कर्मचारी तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे । प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें मसाला एवं सुगंधित फसलों की खेती करने वाले प्रगतिशील कृषकों ने अपने उत्पाद का प्रदर्शन किया ।
कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स एवं युष्मा साव एवं आभार डॉ. एस.एस. टुटेजा, निदेशक प्रक्षेत्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने व्यक्त किया।