छत्तीसगढ़ बिलासा साहित्य मंच ने रीवर व्यू में किया आयोजन

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बिलासा साहित्य मंच ने रीवर व्यू में कविता: अरपा के तट पर नामक आयोजन किया। इसमें कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। कविता पटल के उद्घाटन कार्यक्रम के अतिथियों ने अपने उद्बोधन में कहा कि अरपा नदी मां है। उन्होंने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि अरपा एक धरोहर है और कवि भी। ये परंपरा हमेशा जीवित रहनी चाहिए। समाज को जागृत करने का अच्छा प्रयास किया गया है।

मंगलवार को रीवर व्यू पर पहले पटल पर कवियत्री डॉ.प्रियंका त्रिपाठी की गजल और कवि अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर की कविता लगाई गई। वहीं इन कवियों ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति भी दी। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा दुष्यंत कुमार पुरस्कार से सम्मानित डॉ.प्रियंका त्रिपाठी ने अपनी गजल-मेरी तो आंखों में तुम ही तुम हो, न कोई दूजा बता रही हूं… है अलहदा सी मुहब्बत ये बात तुमको जता रही हूं…। कवि सुधाकर ने
कभी रही होगी माँ तू भी/उमंग लबालब जलप्लावित,/बहती होगी वेगवान धार सी /तटबंधों को कर आलिंगित;/ऐसा क्या किया मानव ने /जो माँ अरपा तू रुठ गई…?/अंतःस्रावी हो गई सलिला/आखिर क्यों तू सूख गई.. की प्रस्तुति दी। शायरा उज्मा अख्तर, कवि राकेश पांडेय, अखिलेश तिवारी, गिरधारी अग्रवाल, भास्कर मिश्रा, वीवी रमणा किरण, सुनील शर्मा ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.देवधर महंत ने अपनी कविता अरपा नदिया को याद करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए। उन्होंने छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग में पद खाली होने पर चिंता जताते हुए इसे भरे जाने की मांग की। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग की प्रोफेसर डॉ.अमिता विशिष्ट अतिथि थी। उन्होंने रीवर व्यू में कार्यक्रम आयोजित किए जाने पर सराहना की।

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि कविता लेखन पर जोर देते हुए कहा कि अच्छे अध्ययन के बगैर कविता नहीं लिखनी चाहिए। वहीं उन्होंने साहित्यिक आयोजनों के आर्थिक पक्ष को ध्यान में रखने की बात कही। इस दौरान बिलासपुर छत्तीसगढ़ी भाषा की अस्मिता के लिए संघर्ष कर रहे नंद किशाेर शुक्ल, प्रेस क्लब के अध्यक्ष वीरेंद्र गहवई, उपाध्यक्ष विनीत चौहान, सह सचिव उमेश मौर्य, संजय पांडेय, राजेश इंदौरिया, साहित्यकार डॉ.जीडी पटेल आदि मौजूद थे।