विलंब से गेट खोले जाने से किसान हो रहे हताश
भाटापारा। प्रांगण और सड़क पर एक ही भाव। किसानों को मजबूरी में ही सही लेकिन रास आ रही है यह व्यवस्था। कई वजहों के बीच इसे स्वीकारने के पीछे अर्थ और समय की बर्बादी से बचने की कोशिश, मुख्य वजह मानी जा रही है।
किसानों के बीच चर्चा में है कृषि उपज मंडी। शाम को विलंब से प्रवेश। ऐसी ही व्यवस्था सुबह के समय भी देखी जा रही है। याने इंतजार के पल लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, कृषि उपज बेचने के लिए। इसलिए सीधी खरीदी का दायरा बढ़ता जा रहा है। कीमत में तेजी या मंदी जैसी स्थिति नहीं है क्योंकि प्रांगण और सड़क पर एक ही भाव बोले जा रहे हैं, महामाया धान के लिए।
इसलिए सड़क पर
खरीफ फसल की आवक के दिन हैं। रबी की तैयारी करनी है। इसलिए तत्काल भुगतान मिलने के भरोसे के बीच किसान, कृषि उपज मंडी आ रहे हैं लेकिन बड़ी दिक्कत उस वक्त हो रही है जब प्रवेश के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। प्रवेश मिलने के बाद काम जल्द निपटाने के लिए जो रकम देनी होती है, वह दूसरी वजह बन रही है। फिर भुगतान के लिए इंतजार। यानी अर्थ और समय दोनों का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।

क्या कर रहे निरीक्षक
अवैध कारोबारी गतिविधियों पर रोक के लिए, मंडी निरीक्षकों की तैनाती की गई है। शायद नहीं होती जांच। इसलिए सूरजपुरा रोड, खोखली रोड, सूमा रोड, सुरखी रोड के किनारे कृषि उपज से भरी गाड़ियों को सुबह के समय आसानी से देखा जा सकता है। देर शाम आती गाड़ियां भी देखी जा सकती हैं।
नुकसान सभी को
सीधी खरीदी को अघोषित छूट देने के बाद किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमत नहीं मिल रही है, तो मंडी को हो रही राजस्व की हानि भी मुख्य है। प्रांगण में काम कर रहे श्रमिकों को भी अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान हो रहा है। जिसे ध्यान देना चाहिए, वह अभी भी “देखते हैं, जांच कराएंगे” जैसी बातें कह रहा है।

प्रांगण और सड़क पर यह भाव
शुक्रवार की सुबह प्रांगण में महामाया धान की लिवाली 1700 से 2100 रुपए क्विंटल पर हुई। यही भाव सड़क पर याने सीधी खरीदी में भी बोले गए। समय और अर्थ की बर्बादी से बचने की इस व्यवस्था को जैसी स्वीकार्यता मिल रही है, वह हैरत में ही डालती है।
करवाएंगे जांच
किसानों को अपनी उपज मंडी प्रांगण में ही बेचना चाहिए। रही बात सीधी खरीदी की, तो मंडी निरीक्षकों को जांच के निर्देश दिए जाएंगे।
– एस एल वर्मा, सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा