तीन आर आई और तीन पटवारी नहीं खोल पाए अपना बस्ता

क्यों “ठुठवा” हो जा रहे कानून के लंबे हाथ


रतनपुर. क्या जिले में कलेक्टर का इकबाल इतना भी नहीं रहा कि उसकी अधिपत्य वाली जमीन का भी सीमांकन करने तीन आर आई और तीन पटवारियों का दल भी टालमटोल कर जाए. या फिर अनुविभाग के राजस्व अधिकारी को को इतना भी ज्ञान नहीं कि नक्शा बटांकन के बाद ही सीमांकन हो सकता है. ऐसा ही है तभी तो भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी ब्रांच बिलासपुर जिसके पदेन अध्यक्ष कलेक्टर है कि अधिपत्य की जमीन का सीमांकन करने टालमटोल होते दिख रहा.

मंत्री से लेकर संत्री तक पहुँच रखने वाले शहर के सबसे ज्यादा रसूखदार लोगों की काबिज जमीनों की पैमाइश कर भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी बिलासपुर ब्रांच की 84 डिसमिल ( 0.340 हेक्टेयर) जमीन का सीमांकन सोमवार को किया जाना था ।  सीमांकन करने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता वाली रेडक्रॉस सोसाइटी ब्रांच बिलासपुर ने आवेदन किया है. सीमांकन के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा जिला बिलासपुर ने ज्ञापन जारी किया था । सोमवार को तय समय में सीमांकन के लिए बनी टीम के अमित कुमार गुप्ता राजस्व निरीक्षक, करगीकला, इन्द्र कुमार सिंह राजस्व निरीक्षक, बेलगहना, मधुला साहू राजस्व निरीक्षक, टेगनमाड़ा,  भारत सिह राज प.ह.न. 05 मुख्यालय मझवानी, जयप्रकाश आडिल पटवारी ग्राम नवागांव-कर्रा, राजेश पाण्डेय पटवारी ग्राम रानीगांव मौके पर पहुँचे थे । करोड़ों की बेशकीमती रसूखदार लोगों की के काबिज जमीन की पैमाइश देखने बड़ी संख्या में नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की भी मौके पर जमा हो गई थी. रेडक्रॉस सोसाइटी ब्रांच बिलासपुर के समन्वक सौरभ सक्सेना के साथ ही सीमांकन से संबंधित आस पास की जमीन के भूस्वामी जिन्हें नोटिस जारी किया गया था मौके पर मौजूद थे. ऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि रतनपुर पटवारी हल्का नंबर 12 तहसील रतनपुर स्थित खसरा नंबर 3600/4 और  3601/3 रकबा 0.340 हेक्टेयर भूमि का सीमांकन तो हो ही जाएगा.

जरीब निकला न पटवारी का बस्ता
ऐसा क्या हुआ कि सीमांकन करने पहुंचा दल टालमटोल कर टाइम पास करने लगे. चैनमेन के झोले से न तो जरीब निकला और न पटवारी के बस्ते से नक्शा खसरा संबंधित दस्तावेज. उहापोह के बीच नव पदस्थ महिला तहसीलदार भी मौके पर पहुँचीं. राजस्व अमले ने मौके पर ही उनसे भी चर्चा की. कुछ समय बाद वे मौके से रवाना हो गई. इसके कुछ समय बाद पंचनामा करके सीमांकन दल भी रवाना हो गया और मौके पर मौजूद लोगों के लिए छोड़ गए घना कोहरा और धुंध…. लोगों के पास अब सवाल है कि कलेक्टर के अधिपत्य की जमीन का भी सीमांकन करने में राजस्व अमले क्यों है नाकाम….. क्यों “ठुठवा” हो जा रहे कानून के लंबे हाथ

नक्शा बटांकन करने के बाद होगा सीमांकन
जैसा कि हम पहले ही सवाल उठा चुके हैं कि पटवारी हल्का नंबर 12 का खसरा नंबर 3600 और 3601 विस्तृत रकबे की जमीन है. इस जमीन के अलग अलग हिस्से पर कई लोगों का भूस्वामी और भूधारी हक है. इस रकबे की जमीन के अलग अलग हिस्से की खरीदी बिक्री भी हो चुकी है. खसरे में इसका बटांकन तो कर दिया गया है. वहीं काबिज जमीन का नक्शे पर बटांकन नहीं किया गया है. खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री पेपर में दर्ज जमीन से अधिक रकबे पर लोगों का काबिज होना भी है. इसी जमीन पर क्रमशः बारह और तीन जमीन आबादी भूमि है जिसका काफी हिस्सा रोड चौड़ीकरण में चला गया है है वहीं मौके पर रकबा जस का तस बना हुआ है. अब  जमीन का पहले नक्शा बटांकन किया जाएगा इसके बाद ही सीमांकन किया जाएगा. क्रमशः


*रेडक्रॉस सोसाइटी के समन्वक सौरभ सक्सेना को क्यों याद आया बटांकन*