रद्द होती ट्रेनों से सायकल स्टेंड की हालत खराब…

भाटापारा। कोविड के दौर में बंद ट्रेनों ने नुकसान पहुंचाया। अब रद्द होती ट्रेनें नुकसान की बड़ी वजह बन रहीं हैं। महज 25 फ़ीसदी दो पहिया वाहन के भरोसे चल रहे रेलवे साइकिल स्टैंड ने अब अच्छे दिन का इंतजार करना छोड़ दिया है क्योंकि स्टैंड में 60 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले मासिक पासधारी यात्रियों ने सड़क मार्ग से यात्रा करनी चालू कर दी है।

रेलवे का साइकिल स्टैंड अब रेल प्रशासन से रियायत या राहत की उम्मीद नहीं करता क्योंकि मांग हर बार बेरुखी से अनसुनी कर दी जाती है। इच्छा बस इतने की है कि अवैध पार्किंग पर तो लगाम लगा दी जाए। स्थानीय पुलिस से अपेक्षा थी लेकिन उससे उपेक्षा ही हाथ आई। इसलिए जीआरपी से मदद की आस है और प्रतीक्षा की जा रही है रद्द होने वाली ट्रेनों के सामान्य परिचालन की, ताकि मासिक पासधारी यात्री लौटें।

पहले और अब

कोविड से पहले, चलने वाली यात्री ट्रेनों की संख्या बेहतर थी। स्टैंड में पहले रोज लगभग 600 दोपहिया वाहन खड़ी होतीं थीं। अब हालत यह है कि प्रतिदिन का आंकड़ा 200 से ऊपर बढ़ नहीं रहा है। बड़ी हिस्सेदारी थी मासिक पासधारी यात्रियों की। स्टैंड में रखी जाने वाली दोपहिया वाहनों में 60 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले यह यात्री पूरी तरह किनारा कर चुके हैं। शेष 40 प्रतिशत यात्री भी लगातार कम होते जा रहें हैंं।

रेल नहीं, सड़क मार्ग

यात्री ट्रेनों के नियमित परिचालन नहीं होने की वजह से नौकरी या कारोबार के लिए प्रतिदिन आने- जाने वाले यात्री सड़क मार्ग से यात्रा को प्राथमिकता दे रहे हैं। चार या पांच की संख्या होने पर चार पहिया वाहन में गंतव्य तक पहुंचने पर समय भी कम लग रहा है और यात्रा पर होने वाला व्यय भी भारी नहीं पड़ रहा है क्योंकि रेल यात्रा के लिए अभी भी दोगुनी रकम चुकानी पड़ रही है।

विलंब से मासिक पास की सुविधा

लगभग ढाई बरस बाद जनरल एवं सुपरफास्ट मासिक पास की सुविधा वापस लौटा दी गई है, लेकिन रद्द होने वाली ट्रेनों की संख्या ज्यादा होने की वजह से साइकिल स्टैंड में वाहनों की सर्वाधिक हिस्सेदारी रखने वाला यह यात्री वर्ग अभी भी स्टैंड से दूरी बनाए हुए हैं। यह भी स्टैंड संचालन के लिए नुकसान की वजह बना हुआ है। रही-सही कसर रेल प्रशासन का असहयोग पूरी कर रहा है।