बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक के ग्राम घासीपुर में पूर्व सैनिक को कथित पट्टे पर मिली जमीन का मामला

छुट्टी के दिन आवेदन लेकर तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा युगल किशोर उर्वशा किया था आदेश पारित

प्रथम दृष्टया ही दिखते हैं मामले में गंभीर कदाचरण

बिलासपुर।  छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय कोटा में छुट्टी के दिन अदालत सजती है। जहां कुर्सी पर बैठा अफसर आवेदन स्वीकारता है। जिसमें संलग्न दस्तावेज आवेदन तिथि के बाद में जारी होता है।  छुट्टी के दिन ही ज्ञापन भी जारी होता है, जो मुख्यालय में नहीं रहने वाले पटवारी तक उड़ कर पहुंचता है। जिसे पटवारी भी दूसरे दिन रविवार को मौके पर पहुंच कर प्रतिवेदन बना कर जमा करता हैं। इसके बाद बड़े झाड़ का जंगल मद की जमीन का एक टुकड़ा जिसे पूर्व सैनिक को खेती किसानी के लिए शासन ने पट्टे पर आबंटित है, को औद्योगिक प्रयोजन के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा आदेश पारित कर डायवर्सन देता है। इसकी नए साल की पहली तारीख को इसकी खबर प्रकाशित होने के बाद बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण मामले पर संज्ञान लेकर जांच बिठाता है। टीएल की बैठकों में कथित रूप से समीक्षा करते हैं। कार्रवाई नहीं होने पर का गांव के एक बुजुर्ग रतनपुर तहसील कार्यालय के सामने धरना पर बैठता है तब खुलासा होता है कि चार दिन पहले ही एसडीएम ने डायवर्सन निरस्त कर दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि डायवर्सन में अनियमितता करने वाले अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं होती। आम आदमी की समझ में आ जा रहे छत्तीसगढ़ शासकीय सेवा आचरण नियम के तहत गंभीर कदाचरण करने वाले अफसर के खिलाफ एक टिप्पणी तक का खुलासा नहीं किया गया है।

क्या है आदेश में

कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कोटा, जिला बिलासपुर (छ.ग.) के जारी ज्ञापन क्रमांक/425/स्टेनो/अ.वि.अ./2025 कोटा, दिनांक 15/04/2025 जो तहसीलदार रतनपुर, राजस्व निरीक्षक परि. भूमि कोटा
और हल्का पटवारी ग्राम घासीपुर को संबोधित है में बताया गया है कि ग्राम घासीपुर, तहसील रतनपुर, स्थित भूमि ख.नं 61/10 रकबा 2.023 में से 0.60 ए.भूमि में दिनांक 22.11.2024 को पुनः निर्धारण आदेश पारित किया गया था। शिकायत प्राप्त होने पर उक्त पुनः निर्धारण आदेश को विधिवत सुनवाई करते हुए दिनांक 11.04.2025 को निरस्त कर दिया गया है। तद्नुसार आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए निर्माणाधीन औद्योगिक स्वरूप के कार्यों में तत्काल रोक लगाते हुए इस न्यायालय को सूचित करें। इस ज्ञापन की प्रतिलिपि आवेदक किशनलाल पिता हीरालाल द्वारा आम मुख्तयार  गौतम राजपूत पिता किशनलाल निवासी ग्राम घासीपुर, तहसील रतनपुर को भी सूचनार्थ प्रेषित कर व्यपवर्तन शुल्क के रूप में राशि पुनः निर्धारण 1726/- प्रीमियम 12154/-, अधोसंरचना विकास उपकर 194/- पर्यावरण उपकर 194/- एवं पंचायत उपकर 863/- को चालान के माध्यम से जमा किया गया है। वापसी प्राप्त करने हेतु मूल चालान के साथ आवेदन पत्र प्रस्तुत करे, जिससे की चालान की राशि वापस करने की कार्यवाही किया जा सकें।

क्या था मामला

नकल में मिले सत्यापित दस्तावेज में शामिल अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय कोटा की नोट सीट बता रही है कि आवेदक किशन लाल पिता हीरालाल निवासी घांसीपुर तहसील रतनपुर छ.ग. ने ग्राम घांसीपुर तहसील रतनपुर जिला बिलासपुर छ.ग. ने ग्राम घासीपुर तहसील रतनपुर की भूमि खसरा नम्बर 61/10 में से रकबा 0.60 एकड भूमि को औद्योगिक प्रयोजन डायवर्सन के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय कोटा जिला बिलासपुर में छुट्टी के दिन शनिवार पांच अक्टूबर 2024 को शपथ पत्र फोटो सहित, किसान किताब की प्रति, बी-1 की नकल, नक्शा, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश बिलासपुर द्वारा प्रदत्त भूमि उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ आवेदन प्रस्तुत किया।

19 दिन पहले हो गए फार्म पी-।। खसरा पांच शाला और ऋण पुस्तिका के दिव्य दर्शन

5 अक्टूबर को आवेदन के साथ संलग्न फार्म पी-।। खसरा पांच शाला की नकल 23 अक्टूबर 2024 को आनलाइन प्रिंट कर निकाली गई है। ऐसे ही नई ऋण पुस्तिका की कापी पर अतिरिक्त तहसीलदार कोशले ने 24 अक्टूबर 2024 को हस्ताक्षर किए है। अब ये कैसे संभव हुआ कि आवेदन के 18 दिन बाद प्रिंट कर निकाला गया फार्म पी-।। खसरा पांच शाला और 19 दिन बाद जारी ऋण पुस्तिका प्रकरण की नस्ती में जबरदस्ती कैसे घूस गया। आवेदन स्वीकार करते समय अफसर ने कौन से फार्म पी-।। खसरा पांच शाला के दिव्य दर्शन कर उसका उल्लेख नोट सीट पर किया है।

जेडी नगर तथा ग्राम निवेश क्षेत्रीय कार्यालय ने मूल खसरा के रकबा की दी जानकारी

कार्यालय संयुक्त संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर ने पत्र क्रमांक/5733/प्र.क.196/न.ग्रा.नि./2024/बिलासपुर दिनांक 06/11/2024 जो अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील रतनपुर जिला बिलासपुर को संबोधित है। में मूल खसरा नंबर 61 रकबा 60 डिसमिल के अनुसार भूमि उपयोग ग्रामीण आबादी, कृषि वाणिज्यिक मार्ग बताया है। वहीं साल 1928-29 के मिसल रिकॉर्ड में मूल खसरा नंबर 61/1 का रकबा 34.35 एकड़ बताया गया है। जिसमें जमीन का मद बड़े झाड़ का जंगल दर्ज है।

6 नवंबर 2024 को जारी अभिमत का पत्र एक महीना पहले ही 05 अक्टूबर को पहुंचा आवेदक के पास
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा के नोट सीट कार्यवाही विवरण में तहरीर दर्ज है कि 05 अक्टूबर 2024 को आवेदक किशन लाल पिता हीरालाल निवासी घांसीपुर तहसील रतनपुर छ.ग. ने ग्राम घांसीपुर तहसील. रतनपुर जिला बिलासपुर छ.ग. ने ग्राम घासीपुर तहसील रतनपुर की भूमि खसरा नम्बर 61/10 में से रकबा 0.60 एकड भूमि को औद्योगिक प्रयोजन हेतु पुनः निर्धारण करने बाबत्, आवेदन पत्र, शपथ पत्र, फोटो सहित, किसान किताब की प्रति, बी-1 की नकल, नक्शा, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश बिलासपुर द्वारा प्रदत्त भूमि उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। वहीं कार्यालय संयुक्त संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर ने पत्र क्रमांक/5733/प्र.क.196/न.ग्रा.नि./2024/बिलासपुर दिनांक 06/11/2024 जो अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील रतनपुर जिला बिलासपुर को संबोधित है। में अपना अभिमत भेजा। इस पत्र के संदर्भ में आवेदक किशन लाल का आवेदन कार्यालय में प्रस्तुत पंजीकरण क्रमांक 3206 दिनांक 28-10-2024 उल्लेखित है। अब सवाल ये है कि 06 नवंबर को जारी पत्र एक महीना पहले ही 5 अक्टूबर 2024 को कैसे आवेदक के पास पहुंच गया। जिसे उसने आवेदन के साथ संलग्न किया है। जिसके दिव्य दर्शन एसडीएम ने कर नोट सीट में उल्लेख किया।
छुट्टी के दिन उड़ कर पटवारी के घर पहुंचा ज्ञापन
शनिवार और रविवार छुट्टी का दिन है। मतलब पूरे दिन कार्यालय में तालाबंदी। ऐसे में शनिवार को छुट्टी के दिन आवेदन स्वीकार कर प्रकरण की सुनवाई और फिर उसी दिन पटवारी के लिए ज्ञापन निकला जो उड़ कर पटवारी के घर पहुंचा। 6 अक्टूबर रविवार को अवकाश के दिन ही पटवारी मुख्यालय पहुंचे और मौके पर जाकर जांच प्रतिवेदन तैयार कर उसी दिन संप्रेषितकर दिया।

एक ही दिन में बन गया दर निर्धारण प्रतिवेदन
नहीं दिया आवेदित भूमि के उपयोग का नक्शा

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने प्रकरण की अगली पेशी 19 नवंबर को तय की। 19 नवंबर को प्रकरण प्रस्तुत किया गया जिसमें आवेदक उपस्थित रहा। शासन की चेक लिस्ट के अनुसार हल्का पटवारी से स्थल प्रतिवेदन प्राप्त किया गया। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा जिला बिलासपुर ने दर निर्धारण के लिए राजस्व निरीक्षक परिवर्तित भूमि कोटा को प्रकरण भेजने आदेश जारी किया। एक दिन बाद बीस नवंबर को राजस्व निरीक्षक परिवर्तित भूमि कोटा ने भी प्रतिवेदन राजस्व मामला क्रमांक 202411072200032/अ-2/2023-24 दिनांक 20 नवंबर 2024 को भेज दी। प्रतिवेदन के बिंदु क्रमांक 8 में भूमि उपयोग नक्शा प्रतिवेदन लेने लेने की भी बात कही गई है। नस्ती की दी गई सत्यापित नकल में आवेदित भूमि के उपयोग नक्शा नहीं दिया गया है। इसके बगैर ही आदेश पारित कर दिया गया है। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा ने 22 नवंबर को अगली पेशी तय की। जिममें अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा ने खसरा नंबर 61/10  रकबा 60 डिसमिल जमीन को औद्योगिक प्रायोजन के लिए मद परिवर्तन करने का आदेश पारित कर दिया है।

पटवारी के प्रतिवेदन में भी जमीन बड़े झाड़ का जंगल

पटवारी प्रतिवेदन के बिंदु तीन पर निस्तार पत्रक में 61/1 रकबा 34.35 एकड़  भूमि बड़े झाड़ का जंगल मद में दर्ज है। वाजिब उल अर्ज में 61/10 नहीं है। बिंदु चार में आवेदित भूमि मिसल बंदोबस्त में मूल खसरा नंबर 61/1 बड़े झाड़ का जंगल मद में दर्ज है। उल्लेखित किया है। गौरतलब हो कि मूल खसरा नंबर 61/1 रकबा 34.35 एकड़ जमीन में से रकबा 2.023 हेक्टेयर जमीन को भूतपूर्व सैनिक किसन लाल पिता हीरालाल को तत्कालीन तहसीलदार श्री उर्वशा के आदेश दिनांक पांच अप्रैल 1986 के अनुसार पट्टे पर शासकीय भूमि को भूमि स्वामी हक में दिया गया। वाजिब उल अर्ज में खसरा नंबर 61/10 इसलिए भी दर्ज नहीं होगा क्योंकि हाल ही में पूरे पटवारी हल्के के खसरा नंबर में बदलाव किया गया है। जिसका उल्लेख पटवारी ने नहीं किया है। खसरा नंबर 61/10 पहले 61/1/च कहलाता था। इस खसरा नंबर का भी उल्लेख पटवारी को अपने प्रतिवेदन में करना चाहिए था।

ऋण पुस्तिका भी नया बनवाया

पर्ची यानि ऋण पुस्तिका को भी जीर्ण-शीर्ण बताकर 24 अक्टूबर 2024 को अतिरिक्त तहसीलदार कोशले ने नया जारी किया गया है। अब महज चालीस साल के अरसे में ऋण पुस्तिका को अचानक जीर्ण-शीर्ण हो जाना भी कई सवाल खड़े करते हैं।

और भी थी खामियां

आवेदन, शपथपत्र में अलग अलग दिख रहे हैं हस्ताक्षर।
आवेदक ने अपने आवेदन की बिंदु 4 .1 में यह स्पष्ट नहीं किया कि आवेदित भूमि आबादी क्षेत्र के भीतर/बाहर स्थित है। बिंदु 4.4 में आवेदित भूमि की चौहद्दी उत्तर में, दक्षिण में,  पूर्व में, पश्चिम में, की भूमि है चौहद्दी नहीं बताया। और न ही जमीन का नक्शा संलग्न किया है। जंगल मद की कहा पर की काबिज जमीन की डायवर्सन किया गया है दस्तावेज में स्पष्ट नहीं है। पटवारी प्रतिवेदन में भी नजरी नक्शा और चौहद्दी उल्लेखित नहीं है। राजस्व निरीक्षक प्रतिवेदन राजस्व मामला क्रमांक 202411072200032/अ-2/2023-24 दिनांक 20 नवंबर 2024 के बिंदु क्रमांक 8 में भूमि उपयोग नक्शा प्रतिवेदन लेने लेने की भी बात कही गई। नस्ती की दी गई सत्यापित नकल में आवेदित भूमि के उपयोग नक्शा नहीं दिया गया है। इसके बगैर ही आदेश पारित कर दिया गया है।
इस मामले की जांच के बाद समकक्ष अधिकारी के द्वारा डायवर्सन आदेश निरस्त करने का आदेश जारी करने पर मिर्जा गालिब का ये नजम याद आता है…
ग़ैर फिरता है लिए यूँ तिरे ख़त को कि अगर
कोई पूछे कि ये क्या है तो छुपाए न बने
इस नज़ाकत का बुरा हो वो भले हैं तो क्या
हाथ आवें तो उन्हें हाथ लगाए न बने
कह सके कौन कि ये जल्वागरी किस की है
पर्दा छोड़ा है वो उस ने कि उठाए न बने
मौत की राह न देखूँ कि बिन आए न रहे
तुम को चाहूँ कि न आओ तो बुलाए न बने
बोझ वो सर से गिरा है कि उठाए न उठे
काम वो आन पड़ा है कि बनाए न बने ….