रिहायशी क्षेत्रों में भंडारण और विक्रय
भाटापारा। बीच शहर में भंडारण और विक्रय। हादसों को न्यौता दे रहीं हैं पटाखा विक्रय करने वाली संस्थानें। जिम्मेदारों ने तो मौन साध रखा है लेकिन शहर की खामोशी से बढ़ावा मिल रहा है पटाखा कारोबार को।
शुभ मुहूर्त की तारीखें चालू हो चुकीं हैं, तो निकाय और पंचायत चुनाव के दिन भी तय हो चुके हैं। ऐसे में पटाखा बाजार को माकूल मौका मिला हुआ है, जोरदार मांग और विक्रय के लिए लेकिन भंडारण और विक्रय के लिए जरूरी सुरक्षा नियमों के पालन की जिस तरह अनदेखी की जा रही है, उसने सुरक्षित जीवन की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
संवेदनशील लेकिन मौन
गोविंद चौक और हटरी बाजार। कारोबारी गतिविधियों के महत्वपूर्ण केंद्र। पूरा दिन जाम के साए में गुजरता है लेकिन यहीं पर पटाखों का भंडारण और विक्रय थोक और खुदरा में हो रहा है। शहर के हर गली-मोहल्ले की छोटी दुकानें भी पटाखों का विक्रय कर रहीं हैं। गांव-देहातों में भी ऐसा ही हाल है। हादसों को निमंत्रण देती यह गतिविधियां सभी देख रहे हैं लेकिन सभी ने मौन साध रखा है।
जरूर सख्ती की
वैसे तो सख्ती गालियां ही नहीं हर गांव में भी बरतनी चाहिए लेकिन बीच शहर के यह हिस्से कड़ी जांच के घेरे में लिए जाने चाहिए क्योंकि प्रतिकूल स्थितियों में फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस की आसान पहुंच सुनिश्चित करना कठिन होगा। जांच आवश्यक दस्तावेज और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता को लेकर भी महसूस की जा रही है क्योंकि अधिकांश के पास नहीं होने की खबर है।
यहां हलचल खूब
टेहका। शहर से 4 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह गांव इन दिनों चर्चा में इसलिए है क्योंकि यहां पटाखा बनाने की ईकाइ संचालन में है। सख्त सुरक्षा उपायों के बीच कारोबारी गतिविधियां खूब देखी जा रहीं हैं। यह गतिविधियां शादी-ब्याह और चुनावी तैयारी की वजह से बढ़ी हुई है। ऐसे में सुरक्षा उपायों की निरंतर जांच की जरुरत यहां भी मानी जा रही है।