कृषि महाविद्यालय ने मनाया स्थापना दिवस
बिलासपुर। नौकरी चाहने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनना होगा। कृषि के क्षेत्र में नवीन अनुसंधान कर अन्नदाता कृषकों को आत्मनिर्भर और हर हाथ को हुनरमंद बनाना होगा। यह बात मुख्य अतिथि विजय प्रताप सिंह भूतपूर्व कमोडोर, भारतीय नौसेना ने कही।
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर का 23 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। मुख्य अतिथि सिंह ने बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल के जीवन पर प्रकाश डालकर विद्यार्थियों को उनके आदर्शों को आत्मसात करने की अपील की। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि महाविद्यालय कृषि विकास एवं किसानों की उन्नति के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगा। शिक्षकों को स्नातक, स्नातकोत्तर शिक्षा के अलावा शोध उपाधि, रोजगारोन्मुखी कृषि शिक्षा देने पर जोर दिया। बी.एस.सी. और एम.एस.सी. कृषि अंतिम वर्ष में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र -छात्रा को स्वर्ण पदक प्रदान करने की घोषणा की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा एवं बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
अधिष्ठाता डॉ. तिवारी ने कहा कि सन 2001 में महाविद्यालय स्थापना के पूर्व से इस केंद्र का गौरवशाली इतिहास रहा है। इन 23 वर्षों में महाविद्यालय ने कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों में नए मुकाम हासिल किए हैं । भारतवर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। बिलासपुर स्थित कृषि महाविद्यालय द्वारा आदिवासी बहुल क्षेत्रों के युवाओं को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कर आत्म निर्भर बनाया जा रहा है।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती माधुरी सिंह ने कहा महाविद्यालय द्वारा युवाओं को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कर आत्म निर्भर बनाया जा रहा है। कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर के प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कर्मचारी व छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने किया।