बढ़िया उत्पादन और अच्छी कीमत
बिलासपुर। लघु धान्य फसलों में अब रागी की खेती को लेकर किसानों का रुझान बढ़ता नजर आ रहा है। कम पानी में तैयार हो जाने वाली रागी की फसल में बढ़िया उत्पादन और बाजार मूल्य का जोरदार होना भी, रुझान बढ़ने के कारण बन रहे है।
रकबा भले ही धीमी गति से बढ़ रहा हो लेकिन रुझान से संकेत मिल रहे हैं कि रागी के अच्छे दिन आने वाले हैं। लघु धान्य फसलों में रागी को ऐसी फसल माना जा रहा है, जिसकी उपभोक्ता मांग बढ़त की ओर है। कम सिंचाई और कम खर्चे में तैयार होने वाली रागी की खरीदी सरकार द्वारा किए जाने से भी किसानों की रुचि बढ़ी है। चालू सत्र में 3500 रुपए क्विंटल की दर पर रागी की खरीदी सरकार कर रही है। मालूम हो कि रागी की फसल रबी सत्र में भी ली जा सकती है।

जानिए रागी को
90 से 100 दिन में तैयार हो जाने वाली रागी रबी और खरीफ, दोनों सत्र में बोई जा सकती है। प्रबंधन पर ध्यान दिए जाने पर तीसरी बोनी भी संभव है। रोपा, कतार और छिड़काव विधि से भी बोनी की जा सकती है। 15 से 20 दिन की उम्र हो चुकी फसल में प्रत्येक पखवाड़े के अंतराल में 4 से 5 बार सिंचाई करना होगा। परिपक्वता अवधि के बाद प्रति हेक्टेयर 30 से 40 क्विंटल उत्पादन का होना पाया गया है।

यह हैं खरीददार
अल्प पानी में तैयार हो जाने वाली रागी की फसल की खरीदी इस समय छत्तीसगढ़ सरकार समर्थन मूल्य पर कर रही है। ग्रेडिंग किए जाने के बाद तैयार रागी, उपभोक्ता बाजार में भी पहुंचने लगी है। इस समय बड़े उपभोक्ता क्षेत्र में शॉपिंग मॉल और सुपर मार्केट प्रमुख हैं। इनके अलावा रागी की पहुंच अब छोटी किराना दुकानों में भी होने लगी है।

धान से कम पानी
किसानों की पहली पसंद वाली धान की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 130 से 150 सेंटीमीटर पानी की जरूरत पड़ती है। जबकि मक्का के लिए प्रति हेक्टेयर 50 से 60 सेंटीमीटर पानी का अनुमान है। गेहूं को तैयार होने के लिए 40 से 45 सेंटीमीटर पानी चाहिए। उड़द और मूंग के लिए 25 से 30 सेंटीमीटर तथा चना, मसूर व सरसों को मात्र 24 से 30 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है। इससे कुछ कम पानी की जरूरत के साथ रागी कम पानी में तैयार होने वाली फसल मानी जा चुकी है। यानी बदलते मौसम के लिए रागी की फसल अब जरूरत बन चुकी है।

कम पानी की जरूरत
रागी एकमात्र ऐसी फसल है, जिसे कम पानी की जरूरत होती है। निश्चित समय के अंतराल में केवल 3 बार सिंचाई पर्याप्त मानी गई है।
– डॉ. एस.आर.पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर