अब 5300 से 5500 रुपए क्विंटल

भाटापारा। कीमत तेज जरूर है, लेकिन बिक्री का नया कीर्तिमान बना सकती है लाई। होलसेल डिमांड अंतिम चरण में, तो रिटेल की मांग, अगले सप्ताह तक पूरा होने की संभावना है। बाद के दिनों में उपभोक्ताओं तक पहुंच आसान की जा सकेगी।

दीपोत्सव के लिए लाई उत्पादन करने वाली इकाइयों में काम अंतिम चरण में पहुंचता नजर आ रहा है। होलसेल काउंटरों तक पहुंच के बाद, अब बारी है रिटेल काउंटर की, जिसकी खरीदी निकलने लगी है। पहली बार ईकाइयां स्वीकार कर रहीं हैं कि तैयार उत्पादन की कीमत ज्यादा है। साथ में यह भी कह रहीं हैं कि बाजार बीते साल की तुलना में ज्यादा अच्छा है।

इसलिए तेज

लाई बनाने के लिए आमतौर पर सफरी धान की जरूरत होती है लेकिन मांग के अनुरूप उपलब्धता नहीं है। इसलिए महामाया धान से लाई बनाई जा रही है। जिसकी कीमत इस समय 2300 से 2350 रुपए क्विंटल पर बोली जा रही है। भरपूर उपलब्धता के बावजूद, खरीदी दर ऊंची होने की वजह से लाई में गर्मी है। इसके बावजूद बेहतर है, लाई में मांग।

होलसेल अंतिम चरण में

होलसेल काउंटरों की डिमांड अंतिम चरण में है। अब बारी है रिटेल की। जिसकी खरीदी दीपोत्सव के एक सप्ताह पहले तक चलने की संभावना है। बाद के दिन खुले बाजार के होंगे। जहां से उपभोक्ताओं की खरीदी हो सकेगी। जैसे संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार इस वर्ष लाई में ग्रामीण क्षेत्र की मांग लगभग दोगुनी होने की संभावना है।

ऐसे हैं भाव

5300 से 5500 रुपए क्विंटल। थोक में इस भाव पर हो रही खरीदी के बाद खुदरा बाजार, लाई की बिक्री 60 से 70 रुपए किलो की दर पर कर रहा है। आउटर एरिया और ग्रामीण क्षेत्रों में 80 से 100 रुपए किलो की दर पर उपभोक्ताओं तक पहुंच रही है। इसके बावजूद हल्की तेजी के संकेत हैं।

By MIG