सूखा और पाला प्रतिरोधक क्षमता है गजब की

सतीश अग्रवाल

बिलासपुर। अब अनुपयोगी भूमि पर भी हरियाली लाई जा सकेगी।अंजन नाम की यह प्रजाति ऐसे भूमि स्वामियों की मदद के लिए पहुंच चुकी है। बेहद दिलचस्प यह है कि यह प्रजाति उच्चतम और निम्नतम तापमान पर भी मजबूती से खड़ी रहती है।

जलवायु परिवर्तन के बदलते परिवेश के बीच चल रहे अनुसंधान में वृक्षों की खोज में ऐसी प्रजाति की पहचान की जा चुकी है, जिसमें बेहद अनोखे गुणों का होना पाया गया है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रजाति अपने छत्तीसगढ़ की हर प्रकार की भूमि और तापमान में तैयार की जा सकेगी।

इस तापमान पर भी

अंजन के वृक्ष में 42 से 47 डिग्री सेल्सियस जैसे उच्चतम तापमान में भी जिंदा रहने की क्षमता का खुलासा हुआ है। निचले स्तर यानी 1 से 10 डिग्री सेल्सियस जैसे निम्नतम तापमान को भी सहन करने की क्षमता रखती है यह प्रजाति। यानी सूखा और पाला प्रतिरोधक क्षमता होती है।

ऐसी भूमि पर शीघ्र

अनुसंधान में अंजन को रेतीली, पथरीली और उथली भूमि पर बेहतर परिणाम देने वाला पाया गया है। प्रदेश का बड़ा हिस्सा दोमट और लाल मुरूम मिट्टी का है। इस प्रकार की जमीन पर भी अंजन का वृक्ष शीघ्र तैयार होता है। यह प्रजाति ऐसी ही मिट्टी में भरपूर बढ़त लेती है।

बनता है बीम

बेहद कठोर। बेहद भारी और मजबूत होने की वजह से अंजन की लकड़ियां, पुलों में बीम के रूप में लगाई जाती है। रेल पटरियां बिछाने के लिए स्लीपर भी इससे ही बनते हैं। बैलगाड़ी के पहियों के लिए इसकी लकड़ियां महत्वपूर्ण मानी गई हैं।

अतिरिक्त लाभ

बायोमास के बढ़ते उपयोग के बीच अंजन ने अपनी पहचान इस क्षेत्र में भी बना ली है। प्रति वृक्ष एक किलो सूखा बायोमास का मिलना प्रमाणित हुआ है। इसके अलावा इसकी पत्तियों और टहनियों से उच्च गुणवत्ता वाली खाद भी बनाई जा सकती है।

पशुओं के लिए उत्तम चारा
अंजन एक बहु उपयोगी पेड़ है, जिसकी पत्तियां पशुओं के लिए उत्तम चारा है। फर्नीचर, गृह निर्माण कार्य सहित अन्य कामों में इसकी लकड़ी का उपयोग किया जाता है । यह वृक्ष 48 डिग्री से -5 डिग्री तापमान तक सहन कर सकता है । कृषिवानिकी के अंतर्गत खेत में लगाने पर एक सूक्ष्म वातावरण बनाकर फसलों को गर्मी एवं अत्यधिक सर्दी से बचाव करने में कारगर साबित हुआ है । संरक्षण के अभाव में अंजन के प्राकृतिक वृक्ष धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं ।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर