“छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की क्षमता एवं संभावनाएं” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर का आयोजन

बिलासपुर। 70 फीसदी मसाला की खेती भारत में होती है। पुराने समय में छत्तीसगढ़ से लेकर गुना तक धनिया उत्पादक क्षेत्र  रहा है, जिसे पुनर्जीवित करना है। करायत व अजवाइन भी दूसरी अच्छी फसल है। करायत की खेती करने वाला किसान गरीब नहीं होता। यह बात मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के कृषि सलाहकार व मुख्य अतिथि प्रदीप शर्मा ने कही।
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर में  “छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की क्षमता एवं संभावनाएं” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुआ। इसका शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रदीप शर्मा ने किया। संगोष्ठी को संबोधित करते उन्होंने कहा राज्य के किसानों को मुख्य फसल के साथ मसाला की खेती के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है। मसाला फसलों से ज्यादा आय होती है।  राज्य में धनिया व करायल की खेती पर विशेष जोर देना होगा। अपने किसानी के संस्मरण सुनाते शर्मा ने कहा छत्तीसगढ़ लौटने से पहले कच्छ गुजरात में खेती करता था। चार सौ एकड़ की खेती थी उसमें अंगुर की खेती की, जिसमें असफल हो गया। मैं सोचने लगा की इस नुकसान की भरपाई कैसे हो। जानकारी लगी की इस इलाके में जीरे की भी खेती हो सकती है । 40 एकड़ में जीरा लगाया जी हमें  साठ हजार रुपए प्रति एकड़ फायदा मिला 24 लाख रुपए का फायदा मिला। इससे नुकसान की भरपाई हो गई।

उन्होंने कहा यहाँ भी किसान खेत में दूसरे फसलों के साथ मसाला की खेती भी करें। थोड़े से हिस्से में हल्दी, अदरक, धनिया, अजवायन, करारा जैसी फसलें लगाएं। मसाले की फसलों से खेत गमकने लगता है  इससे खेत में आने वाले कीड़ों की संख्या में भी कमी आएगी। मसाला फसलों की कीमत भी अधिक मिलती है। श्री शर्मा ने कहा 70 फीसदी मसाला की खेती भारत में होती है। पुराने समय में छत्तीसगढ़ से लेकर गुना तक धनिया उत्पादक क्षेत्र  रहा है, जिसे वापस लाना है । रायगढ़ में अच्छा काम चल रहा है नई नई चीजे आ रही है।  करायत दूसरी अच्छी फसल है। करायत की खेती करने वाला किसान गरीब नहीं होता। करायत इस क्षेत्र की जान है । जलवायु परिवर्तन हो रहा है.बरसात 88 दिन से घटकर साठ दिन का हो गया है। प्रकृति उसकी प्रति पूर्ति कर रही है। ओस के दिनों में वृद्धि हो गई है। अजवायन, करायत धनिया और बहुत सी चीजें लगा सकते हैं।

श्री शर्मा ने कहा ये सरकार तो किसानों की सरकार है। बीस हजार नाले छत्तीसगढ़ में है इसमें से सोलह हजार नाले पर काम हो चुका है इसमें 11 महीने अब पानी रहता है। किनारे की पड़त भूमि पर कोदो कुटकी की फसल हो रही है बीते दो साल में 46 हजार हेक्टेयर मिलेट का रकबा बढ़कर एक लाख छप्पन हजार हो गया है, यही उम्मीद मसालों की खेती के क्षेत्रादन से करना चाहता हूं।
मशीनों के साथ मसालों का तीन सौ प्रसंस्करण केंद्र प्रदेश में है। जो स्वसहायता समूह की महिलाएं चला रही है। छत्तीसगढ़ मसालों के मामलों में स्वावलम्बी है। छत्तीसगढ़ में धान की दो प्रजाति ऐसी प्रजाति मिली है जिसमें केंसर रोधी तत्व है। इसे किसी भी तरह बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध हैं आप एक कदम आगे बढे सरकार चार कदम आगे बढ़ने को तैयार है । तिखुर का उत्पादन घट बढ जाती है जंगली राई के बीज के लिए कोई काम नहीं हुआ है। सुपारी भी अच्छी फसल हो सकती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. गिरीश चंदेल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने कहा मसाला व सुगंधित पौधों की खेती कर किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सकते हैं. प्रदेश की जलवायु में इनका उत्पादन आसानी से किया जा सकता है l  विश्वविद्यालय ने राज्य में मसाला फसलों के विकास हेतु निरंतर कार्य किया है जिसका परिणाम 70 क्विंटल धनिया बीज के उत्पादन के रूप में हमारे समक्ष हैं । स्टेक होल्डर किसानों को उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान करेंगे तो किसान समृद्ध होंगे l मांग एवं पूर्ति के अनुसार राज्य के किसानों को कार्य करने की आवश्यकता है l उन्ह मोटे अनाजों की संभावना को देखते हुए बिलासपुर में भी मिलेट कैफे खोलने की घोषणा की ।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मोहम्मद असलम, विशेष सलाहकार, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य मसाला एवं सुगंधित फसलों से समृद्ध है l मसाला एवं सुगंधित फसलों की इस अनुवांशिक समृद्धि को राज्य के कृषकों को इसकी खेती हेतु प्रोत्साहित कर आर्थिक समृद्धि में बदला जा सकता है। इसे मिशन मोड के अंतर्गत लेकर कृषकों को खेती हेतु तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराना समय की मांग है l अदरक, हल्दी, धनिया एवं अजवाइन राज्य की प्रमुख मसाला फसल है l राज्य के कृषक हल्दी की विभिन्न किस्में उगा रहे हैं लेकिन किस किस्म में अधिक करक्यूमिन मात्रा है इस तरह विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है l राज्य में नागरमोथा और जिरेनियम की खेती की अपार संभावना है l मसाला फसलों की खेती में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे जहरीले रासायनिक तत्वों से मुक्त हो.

डॉ.ज्ञानेंद्र मणि, मुख्य महाप्रबंधक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने कहा कि राज्य में इन पौधों की खेती के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध है l आज देश के कई राज्यों में मसाला एवं सुगंधित फसलों की खेती के लिए किसान भाइयों की रुचि बढ़ी है एवं पारंपरिक खेती के साथ फल, सब्जी और पशुपालन के साथ ही मसाला एवं सुगंधित पौधों की खेती की तरफ रुझान तेजी से कर रहे हैं l नाबार्ड ऋण प्रदान कर राज्य के कृषकों को मसाला फसलों की खेती करने हेतु निरंतर प्रोत्साहित कर रहा है l देश में कृषि जोत का रकबा दिन पर दिन कम होता जा रहा है लेकिन उत्पादकता बढ़ रही है l यह सिर्फ किसान एवं वैज्ञानिकों के प्रयास से ही संभव हुआ है l हम तो सिर्फ एक माध्यम है l किसान भाइयों को मुख्य फसल के अतिरिक्त उच्च मूल्य प्रदान करने वाली फसलों को लेना चाहिए l प्रगतिशील किसान एवं औसत किसान के उत्पादकता में काफी अंतर होता है जिस और ध्यान देकर उसे कम करना होगा l किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से हमें हैंड होल्डिंग सपोर्ट नहीं मिल रहा है जिसकी आवश्यकता है l अंतवर्ती खेती कर प्रति इकाई उपज को बढ़ाया जा सकता है l मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करना आवश्यक है तभी कृषक लाभान्वित होंगे।

विशिष्ट अतिथि बाबूलाल मीणा, उपनिदेशक, सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय, कालीकट, केरल ने कहा किसानों को ज्यादा से ज्यादा आय मिले इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है l छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला फसलों की खेती की अपार संभावना है l किसान को उसके उत्पाद की अच्छी कीमत मिले इसके लिए भारत सरकार निरंतर सहयोग प्रदान कर रही है l राज्य में मसालों फसलों की उत्पादकता राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे इस हेतु प्रयास करना होगा ।डॉ. आर. के. एस. तिवारी, अधिष्ठाता ने अतिथियों का स्वागत, सम्मान पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर किया । राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि शर्मा व अतिथियों ने टीडी पांडे, एनके चौरे, अजीत विलियम्स, गीत शर्मा, अजय टेगर, रोशन परिहार, विनोद कुमार निर्मलकर एवं यशपाल सिंह निराला द्वारा संपादित संगोष्ठी स्मारिका का विमोचन किया गया । कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स व युष्मा साव, आभार डॉ. एस.एस. टुटेजा, निदेशक प्रक्षेत्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर  ने व्यक्त किया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में 7 तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए । पोस्टर सत्र में शोधकर्ताओं ने अपने अनुसंधान परिणामों को बताया । दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में 100 प्रतिभागियों एवं राज्य के विभिन्न जिलों से पधारे लगभग 400 पुरुष एवं महिला कृषकों ने सहभागिता की। इस अवसर पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें मसाला एवं सुगंधित फसलों की खेती करने वाले प्रगतिशील कृषको ने अपने उत्पाद का प्रदर्शन किया राष्ट्रीय संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषको एवं वैज्ञानिकों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया ।