कोरबा भांवर रोड स्थित मणिकंचन केंद्र के कचरे के ढेर पर पसरी
रतनपुर. जरुरतमंद गरीब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में दवाएं भले ही नहीं मिल पाती. वहीं कोरबा भांवर रोड स्थित मणिकंचन केंद्र के आसपास पसरे कचरे के ढेर की सेहत को दुरुस्त करने स्वास्थ्य अमला बड़ी तादाद में दवाएं परोस रही है. इन दवाओं में सरकारी सप्लाई के साथ सिप्ला जैसी कंपनी ब्रांडेड दवाएं भी है जो सरकारी अस्पताल प्रबंधन गरीबों को मुफ्त में देने निजी दवाएं दुकानों से स्थानीय स्तर पर खरीदती है. कचरे की ढेर में मिल रही दवाएं कालातीत भी नहीं है. इनमें से कई दवाओं का जीवनकाल तो अक्टूबर 2024 तक का है. काफी मात्रा में ये दवाएं शहर की कचरा गाड़ियों से होती हुई मणिकंचन केंद्र कैसे पहुंच गई ये जांच का विषय है.
नगर पालिका परिषद रतनपुर के विभिन्न वार्डों के घरों से निकलने वाले सूखे व गीले कचरों को शहर स्वच्छता दीदीयां जमा कर कोरबा भांवर रोड में तालाब के किनारे स्थित मणिकंचन केंद्र में पहुंचाती है. मंगलवार की सुबह इन कचरा गाड़ियों में से किसी में काफी मात्रा में जीवन रक्षक सरकारी सप्लाई के दवाएं और सीरप पहुंची. काफी तादाद में दवाएं और सीरप की बोतलें देख वहां काम कर रही महिला भी हैरान रही. इसकी जानकारी वहाँ से गुजर रहे राहगीरों को भी हुई. मौके पर पहुंचे लोगों ने देखा कि कचरे के ढेर में पसरी दवाओं और सीरप अभी कालातीत भी नहीं हुई है. कई के जीवन काल अक्टूबर 2024 तक का बता रहा था.
कचरे के ढेर में से कुछ साफ सुथरी दवाओं और सीरप की बोतलों को लाकर इसका प्रदर्शन पुराना बस स्टैंड स्थित सीताराम होटल के पास किया. इसकी जानकारी सोशल मीडिया में भी प्रसारित किया गया. सरकारी अस्पताल की दवाएं कूड़े में पसरे होने की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग का अमला भी हरकत में आया. आनन-फानन में पुराना बस स्टैंड पर प्रदर्शन के लिए लाकर रखी दवाओं को जब्त किया गया. वही मणिकंचन केंद्र के कचरे के ढेर में भारी मात्रा में पसरी दवाओं की जब्ती बनाई गई है कि नहीं इसकी जानकारी नहीं लग सकी है. अब बड़ा सवाल ये है कि इतनी बड़ी मात्रा में गरीबों के हिस्से की सरकारी दवाएं आखिर कचरे के ढेर तक पहुंची कैसे…?
प्रशासन की घोर लापरवाही
इस मामले पर विधायक डाक्टर रेणु जोगी के प्रतिनिधि संजय जायसवाल ने कहा ये प्रशासन की घोर लापरवाही है. गरीबों को दी जाने वाली सरकारी दवाओं के वितरण की ठीक ढंग से निगरानी नहीं होने से ऐसी घटनाएं हो रही है. जो जिम्मेदार अधिकारी है उन्हें तत्काल निलंबित कर मामले की जांच की जानी चाहिए. प्रशासन में जब तक कसावट नहीं आएगी ऐसी घटनाएं होती रहेगी.