कार्रवाई की टूटती उम्मीद के बीच, बढ़ती कीमत पर हो रही खरीदी

भाटापारा। जिस कीमत पर देंगे, उस कीमत पर लेंगे। उपभोक्ताओं का यह बदला अंदाज, गुड़ाखू बाजार को हैरत में डाल रहा है। मोल-भाव के दौरान खरीददारी का ऐसा ही रूप, पान-मसाला की भी खरीदी के दौरान देखने में आ रहा है। अलबत्ता खाद्य तेल की खरीदी-बिक्री, टेंशन में डाल रही है।

बीते एक सप्ताह से पान-मसाला, तंबाकू,गुड़ाखू, सिगरेट, बीड़ी और खाद्य तेल की कीमत बढ़त ले रही है। उसके बाद प्रशासनिक सुस्ती का फायदा, जिस चुस्ती के साथ बाजार उठा रहा है, वह हैरत में डाल रही है। इसके पहले लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में प्रशासन इतना सुस्त नजर नहीं आया, जैसा फिलहाल है। इस सुस्ती का फायदा बाजार उठा रहा है और नुकसान उपभोक्ताओं को हो रहा है।

दिलचस्प अंदाज में खरीदी

मंजन डब्बा हवय का…, जैसे शब्दों के साथ शुरू होने वाली बातचीत के बीच, जब कीमत बताई जाती है, तब पहले तो, इसे ज्यादा बताया जाता है। मांगी गई मात्रा बताने के बाद दोनों के विचार मिल जाने पर मंजन डिब्बा दे दिया जाता है। ऐसे सौदे में कीमत, अधिकतम खुदरा विक्रय मूल्य से, ज्यादा ही होती है।

चलो ठीक है, दीजिए

पान-मसाला की खोज और खरीदी क्रय शक्ति के भीतर अभी भी मुश्किल है लेकिन यह भी आसान होने लगी है क्योंकि प्रशासनिक सुस्ती के बीच उपभोक्ता अपने स्तर पर खरीदी कर रहा है। कीमत 140 रुपए पैकेट पर शुरू और 165 रूपये पर खत्म हो रही है। इसमें कीमत, जरूरत के हिसाब से तय हो रही है। यह नया बदलाव है

हम तय करेंगे

बाजार को खाद्य तेल की डिमांड और सीजन दोनों मिली हुई है। लॉक डाउन की आशंका के बीच, हो रही खरीदी-बिक्री से मांग एकदम से दोगुनी हो चुकी है लेकिन होलसेल काउंटर, मांगी जा रही मात्रा और कीमत, दोनों के अधिकार अपने पास सुरक्षित रखे हुए है। यह बदला ट्रेंड, रिटेल मार्केट को नाराज कर रहा है। ऐसे में भाव रोज बढ़ रहे हैं।