डिमांड में फिर मास्क और सेनिटाईजर
रायपुर। कोरोना के बढ़ते मामले और नए वेरिएंट ओमीक्रान की धमक के बाद मेडिकल मार्केट में एक बार फिर से मास्क और सेनिटाईजर की डिमांड पहुंच रही है। सहेजकर रख दिए गए ऑक्समीटर में भी खरीदी निकल रही है। कीमत में कहीं कोई वृद्धि नहीं हुई है, इसलिए भी खरीदी का आंकड़ा बढ़त ले रहा है।
मास्क और सैनिटाइजर संक्रमण से बचाव के पहले उपाय हैं लेकिन हमारी लापरवाही ने ही कोरोना की तीसरी लहर को निमंत्रण दे दिया है। नए वेरिएंट ओमीक्रान के बढ़ते मामले के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने जो नई गाईडलाइन जारी की है, उसमें अब भी मास्क और सैनिटाइजर पहले नंबर पर है। ओमीक्रान और कोरोना के नए मामलों की बढ़त लेती संख्या के बाद मेडिकल मार्केट में फिर से मास्क और सैनिटाइजर की मांग बढ़त ले रही है।
मांग का दबाव मास्क पर
संक्रमण की बढ़ती संख्या और ओमीक्रान के भय से मास्क की मांग, प्रदेश के सभी जिलों से आने लगी है। मेडिकल मार्केट इस मांग के बाद लगभग 15000 से 20000 मास्क प्रतिदिन उपलब्ध करवा रहा है। इसके अलावा स्थानीय बाजार में भी इसकी खपत बढ़ने लगी है। सप्लाई लाइन भी, डिमांड क्षेत्र में समय पर उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है।
सैनिटाइजर में आई गर्मी
संक्रमण से बचने के उपायों में दूसरे क्रम पर रखा गया सैनिटाइजर फिर से मांग में आ चला है। धीमी गति से ही सही लेकिन इस बाजार में रोजाना की मांग लगभग 3000 लीटर पर पहुंच चुकी है। छोटे पैक की खरीदी तो की ही जा रही है, इसके अलावा कार्यालय और औद्योगिक इकाईयों में बड़े पैक की मांग निकल रही है। इसकी मांग में बढ़त के आसार बने हुए हैं।
काउंटर में यह भी
संक्रमण के पहले दौर में कीमत को लेकर सुर्खियों में रहे, ऑक्सीमीटर के बंद पैक, फिर से खुल गए हैं। ओमीक्रान की पहुंच के बाद, इसकी खरीदी आहिस्ता- आहिस्ता बढ़ रही है। खरीदी के पीछे जागरूकता और बचाव तो है ही, दूसरी वजह इसकी कीमत बनी हुई है। पहले और दूसरे दौर में कीमत को लेकर हैरत में डालने वाला ऑक्सीमीटर इस समय 700 से 1000 रुपए में उपलब्ध है।लापरवाही अब भी
लापरवाही अब भी
संक्रमण की तीसरी लहर के बीच, हमारे साथ वह प्रशासनिक अमला भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है, जिस पर व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इसने ना तो विरोध प्रदर्शन में मौजूद भीड़ पर कार्यवाही की, ना बाजार में उमड़ती भीड़ को नियंत्रण में किया है। मास्क को लेकर चालान की कार्रवाई महज औपचारिक रह गई। सैनिटाइजर को तो जैसे, हम और अफसर भूल ही गए हैं। तीसरी लहर के बीच में ऐसी लापरवाही अब संकट में डाल चुकी है।