सीजन में भी ऑफ सीजन जैसा दौर
बिलासपुर। बलौदा बाजार और बिलासपुर जिला, तंबाकू की बिक्री में जोरदार गिरावट के बाद हताशा के दौर से गुजर रहा है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में प्रशासनिक सख्ती से टूट चुका यह क्षेत्र, फिर से खड़ा होने के प्रयास में है, लेकिन सफलता दूर की कौड़ी लगती है क्योंकि तंबाकू के सेवन से उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग दूरी बना चुका है। इसलिए कीमत गिरावट की राह पर है।
कोरोना ने हर क्षेत्र, हर कारोबार को बेतहाशा नुकसान पहुंचाया है। फिर से खड़े होने के प्रयासों में सफलता तो मिल रही है, लेकिन तंबाकू बाजार को जैसे झटके लगे हैं, उससे यह अब तक उबर नहीं पाया है। प्रयास तो किए जा रहे हैं, लेकिन बदली जीवन शैली के बीच तंबाकू के सेवन से जिस तरह किनारा किया जा रहा है, उसके बाद तंबाकू कारोबार हताश हो चला है क्योंकि इस कारोबार को बाजार में फिर से अपनी जगह बना पाने में सफलता नहीं मिल रही है।
यह दो पूरे प्रदेश में
अपने प्रदेश में बिलासपुर और बलौदा बाजार जिले की पहचान तंबाकू आपूर्ति करने वाले जिले के रूप में होती है। लगभग 20 टन तंबाकू की मासिक आपूर्ति करने वाले इन दोनों जिलों में तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए भरपूर मात्रा में तंबाकू के स्टॉक किए जाने की खबरें आ रहीं हैं ताकि कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके लेकिन बाजार का रुझान फिलहाल तो बढ़ता नजर नहीं आता।
यहां मांग धीरे-धीरे
तंबाकू और बीड़ी के लिए दिसंबर व जनवरी का महीना, सीजन के रूप में माना जाता है। सीजन ने दस्तक दे दी है। लिहाजा पाउच पैक में तंबाकू के अलावा गुड़ाखू और बीड़ी यूनिटों की मांग निकली हुई है, लेकिन इसे संतोषजनक नहीं माना जा रहा है। मांग बढ़ने का इंतजार तो है ही, इसके अलावा बाजार बढ़ाने की भी कोशिश की जा रही है।
इसलिए मांग स्थिर
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच उपलब्धता नहीं होने और सेहत को लेकर जारी सलाह के बाद तंबाकू का बाजार लगभग जमीन पर आ गया था। इसकी वजह से दैनिक जीवन से भी तंबाकू एक तरह से बाहर हो चला है। जीवन शैली में आया यह बदलाव भी इस बाजार के लिए गहरा झटका था। अब यह एक बड़े क्षेत्र से बाहर हो गया है। इसलिए भी मांग कमजोर है।
हाल ऐसा है
सीजन के बावजूद होलसेल मार्केट में तंबाकू की दर 250 रुपए किलो पर है तो, बड़े कारोबारी 170 से 200 रुपए में भी यूनिटों को सप्लाई कर रहे हैं। रिटेल काउंटर, कीमत 270 रुपए किलो का बता रहा है। मांग क्षेत्र, तंबाकू पाउच और गुड़ाखू के साथ बीड़ी बनाने वाली यूनिटें हीं हैं। रोजमर्रा के उपभोक्ताओं की संख्या में भी गिरावट आ रही है।