जन-जीवन होगा प्रभावित



बिलासपुर। मध्य मार्च में ही येलो अलर्ट। साथ में हीट वेव की चेतावनी। संकट में मवेशी, खेती- किसानी के काम और रबी फसलें। सतर्क रहना होगा बच्चों और बुजुर्गों को क्योंकि तेज गर्मी इन दोनों के लिए कई तरह की स्वास्थ्यगत परेशानियों की वजह बन सकती है।

सतर्कता और जागरूकता को अहम मान रहे मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम में आया यह बदलाव अब बेहद सावधानी की जरूरत बता रहा है। तेज गर्मी और लू की बनती स्थितियां वैसे तो आम जीवन पर असर डालेगी ही लेकिन कुछ खास क्षेत्र में यह व्यापक विस्तार ले सकता है। यही वजह है कि येलो अलर्ट के साथ हीट वेव की चेतावनी आई एम डी ने जारी की है।

जानिए येलो अलर्ट और हीट वेव को

छत्तीसगढ़ में गर्मी का मौसम मार्च से जून के बीच रहता है लेकिन इस बार जैसा रूप इसने मार्च के शुरुआती दिनों में दिखाया है, उसे देखते हुए कई जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। यह अलर्ट संभावित खतरे की चेतावनी होती है, मतलब तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इससे हीट वेव याने लू की स्थिति बनेगी। इस दौरान छोटी सी भी लापरवाही कई तरह की स्वास्थ्यगत परेशानी की वजह बन सकती है।

पहला खतरा इन पर

घुमंतू और पालतू मवेशी। डिहाइड्रेशन के शिकार हो सकते हैं। इसलिए चारा के साथ भरपूर पानी की व्यवस्था करनी होगी। दूसरा खतरा रबी फसलों पर देखा जाएगा क्योंकि तेज धूप, बढ़ता तापमान और हीट वेव खेतों की नमी तेजी से खत्म करेगी। इसे कमजोर उत्पादन के रूप में देखा जा सकता है। गायब होती नमी भूजल स्तर को भी प्रभावित करेगी। जिससे जल संकट जैसी स्थिति की आशंका प्रबल हो रही है।

सावधानी रखनी होगी इन्हें

बच्चे, बुजुर्ग और कृषि कामगार। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इन पर ध्यान रखना इसलिए जरूरी माना है क्योंकि यह खुले में रहते हैं। आईएमडी ने कहा है कि इन तीनों की दिनचर्या दोपहर में स्थिर रखने की व्यवस्था करें ताकि हीट वेव की स्थितियों से बचाव सुनिश्चित की जा सके। हल्के और ढीले कपड़े पहनें ताकि शरीर का तापमान नियंत्रण में रहे।

ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और मवेशियों पर

इस बार गर्मी जल्दी और ज्यादा पड़ रही है, जिससे लू (हीट वेव) चलने की संभावना है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों, किसानों और मवेशियों पर पड़ेगा। गर्मी से बचने के लिए दोपहर में बाहर जाने से बचें, हल्के और सूती कपड़े पहनें, खूब पानी पिएं और मवेशियों के लिए छांव व पानी की व्यवस्था करें। किसानों भाई खेतों की नमी बनाए रखने के उपाय करें, ताकि फसल को नुकसान न हो।

डॉ.दिनेश पांडे, साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर