बिलासपुर। सामान्यतः एक या दो दिन। पहली बार 4 से 6 दिन। अप्रैल माह में हीट वेव की इस तीव्र वृद्धि दर ने मौसम वैज्ञानिकों को चौंका दिया है।
हीट वेव और 44 डिग्री सेल्सियस जैसे उच्च तापमान से झुलसता बिलासपुर और रायपुर अब मौसम वैज्ञानिकों की नजर में है। चिंता रायगढ़ और बस्तर के मैदानी क्षेत्र भी बढ़ा रहे हैं क्योंकि यहां भी तेज गर्मी और हीट वेव जैसे हालात देखे जाने लगे हैं।
यह खुलासा
बढ़ती खनन गतिविधियां, घटता वन क्षेत्र पहली बड़ी वजह मानी जा रही है। प्रारंभिक अनुसंधान में मिट्टी में तेजी से खत्म होती नमी और जलाशयों की सूखती स्थितियां भी गर्मी की तीव्रता को बढ़ाए हुए हैं। बड़ा मौसमीय बदलाव यह देखा जा रहा है कि पश्चिमी विक्षोभ और नम हवाओं की अनुपस्थिति की वजह से राज्य में गर्म एवं शुष्क हवाएं प्रभावी बनीं हुईं हैं।

दोगुने से ज्यादा हीट वेव के दिन
सामान्यतः छत्तीसगढ़ को मध्यम का जलवायु वाला क्षेत्र माना गया है लेकिन बिलासपुर, रायगढ़, रायपुर और बस्तर में जो बदलाव आया है वह चिंता में डाल रहा है। खासतौर पर राजधानी और न्यायधानी जहां न केवल तापमान की वृद्धि दर तेज रही बल्कि हीट वेव के दिन भी बढ़ते देखे गए बीते अप्रैल माह में। बस्तर और रायगढ़ के मैदानी इलाके भी पहली बार इस तीव्रता के घेरे में हैं।
अपनाना होगा यह उपाय
शहरी क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने के लिए पौधरोपण पर गंभीरता के साथ काम करना होगा। पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार व कृषि क्षेत्र में मल्चिंग और सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था बनानी होगी ताकि मिट्टी में मानक मात्रा में नमी बनी रहे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अप्रैल में दर्ज की गई हीट वेव की अवधि एक चेतावनी है कि समय रहते योजनाओं व संसाधनों पर गंभीरता नहीं दिखाई तो संकट और भी विस्तार ले सकता है।
हीट वेव फसलों के लिए खतरे का संकेत
अप्रैल की हीट वेव पारिस्थितिक असंतुलन का परिणाम है। जल संकट, घटता हरित आवरण और कमजोर मिट्टी इसकी वजह हैं। खेती बचाने के लिए जल प्रबंधन, मल्चिंग और हीट टॉलरेंट फसलों को अपनाना जरूरी है।
डॉ. दिनेश पांडे, साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर