पूछ रहा शहर भाटापारा
भाटापारा। बरस बीता। दूसरे बरस का दूसरा महीना भी खत्म होने को है लेकिन शासकीय महाविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल के लिए स्वीकृत सुविधा अब तक नहीं जुटाई जा सकी है। फलस्वरुप आयोजनों पर अघोषित रोक लगी हुई है।
शासकीय, शैक्षणिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए फिलहाल प्रतीक्षा करनी होगी क्योंकि एकमात्र ऑडिटोरियम में संपूर्ण सुविधाएं अब भी नहीं है। कब तक मिल पाएगी यह सुविधा ? जैसे सवाल पूछने वाले तो बहुतेरे मिल जाएंगे लेकिन जवाब कौन देगा ? खोज रहा है शहर।
पूर्णता अवधि पूरी लेकिन…
शासकीय महाविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में विभिन्न सुविधाएं जुटाई जानी थी। जिनमें ध्वनिक फॉल्स छत, ध्वनिक दीवार पैनलिंग, पर्दे, कुर्सियां एवं अन्य आवश्यक सुविधाओं को अहम मानते हुए, जिला खनिज न्यास से 366.2 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। 2023-24 में स्वीकृत इस राशि से होने वाला यह काम 6 अक्टूबर 23 को शुरू हुआ था। पूर्णता की तारीख 5 अक्टूबर 24 तय की गई थी लेकिन इस अवधि के दो माह बाद भी यह काम अपूर्ण है।

यह था उद्देश्य
राजधानी और न्यायधानी में बने ऑडिटोरियम की तर्ज पर निर्मित इस ऑडिटोरियम हॉल में विभिन्न शैक्षणिक आयोजन के साथ साहित्यिक एवं उद्देश्यपरक विचार गोष्ठियां भी आयोजित की जा सकेगी लेकिन एक साल दो माह बाद भी यह काम पूरा नहीं किया जा सका है। ऐसे में इस तरह के आयोजन या तो नगर भवन में किया जा रहा है, या फिर रद्द करने जैसा फैसला विवशता में लिया जा रहा है।
स्वच्छता कागजों में
शासकीय गजानंद अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिसर में निर्मित ऑडिटोरियम के आसपास का हिस्सा यह बताता है कि स्वच्छता को लेकर चल रहे अभियान को किस तरह खत्म किया जा सकता है। चौतरफा फैली गंदगी और उग आए खरपतवार का निपटान कौन करवाएगा ? जैसे सवाल के जवाब किससे मिलेंगे ? खोज रहा है शहर क्योंकि महाविद्यालय प्रबंधन तो मौन साधे हुए हैं।