साम्प्रदायिक सद्भाव की विरासत और देश की वर्तमान परिस्थितियाँ विषय हुआ व्याख्यान
रायपुर। राजाओं की आपसी लड़ाई को आज हिंदू-मुस्लिम के रंग में रंग कर सांप्रदायिकता का वैमनष्य फैलाया जा रहा है।हिंदू राजा हो या मुस्लिम राजा दोनों की सेनाओं में हिंदू-मुसलमान थे। यह राजाओं व राज्य को लेकर लड़ाई थी। कोई अच्छा या बुरा प्रशासक हो सकता है, लेकिन यह कतई हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई नहीं थी। यह बात इतिहासकार प्रो. राम पुनियानी ने कही।
छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों ने साम्प्रदायिक सद्भाव की विरासत और देश की वर्तमान परिस्थितियाँ विषय व्याख्यान व सम्मान समारोह आयोजित की। मुख्य अतिथि डॉ. पुनियानी ने सरल भाषा में इतिहास के उदाहरणों के साथ बताया कि किस तरह अकबर का सेनापति मान सिंह हल्दी घाटी के मैदान में महाराणा प्रताप से जंग कर रहा था और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप का सेनापति हकीम खां सूरी अकबर की सेना से लोहा ले रहा था। इसी तरह शिवाजी और औरंगजेब की सेना के साथ लड़ाई को हिंदू-मुस्लिम रंग दिया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि कई हिंदू राजा उस समय भी औरंगजेब के साथ थे और शिवाजी की सेना में मुस्लिम थे। शिवाजी का मुख्य तोपची इब्राहिम खान था, तो औरंगजेब की सेना की कमान राजा जय सिंह के हाथ में थी। इस तरह से कई उदाहरण इतिहास में मौजूद हैं। प्रो. पुनियानी की खासियत यह है कि बिना हड़ब़ड़ी किये, बिना चीखे-चिल्लाये स्रोताओं को इतिहास से रूबरू कराते वर्तमान के प्रति सचेत करते हुए, बड़े सरल ढंग से बड़ी गहरी बातें करते हैं और दर्शक मुग्ध होकर देश,समाज के हालात पर चिंतित होने के साथ ही बीच-बीच में हंसते हुए खुद को समृद्ध करते हुए वार्ता में शामिल रहता है।

डॉ पुनियानी ने कहा कि सत्ता के लिए देश में घिनौना खेल खेला जा रहा है। भाई को भाई से लड़ाने का उपक्रम चल रहा है। सही इतिहास की जगह झूठा इतिहास रचा जा रहा है और प्रसारित किया जा रहा है। धर्म को सत्ता का हथियार बनाने वाले जानते हैं कि भ्रम जितना ज्यादा फैलेगा उतना ज्यादा उनको फायदा है। लोग असली मुद्दों को छोड़कर मंदिर-मस्जिद की लड़ाई में जुटे हुए हैं। उन्होंने आरएसएस के संविधान विरोधी कारनामों का उल्लेख करते हुए कहा सामाजिक संगठनों को नियमित रूप से समाज में जनचेतना जगाने का काम करना चाहिए। इतिहास को इतिहास के वास्तविक नजरिए से रखना चाहिए। जनता के बीच जाकर काम करने की जरूरत है। वोट की लड़ाई से ज्यादा महत्वपूर्ण सामाजिक लड़ाई है। समाज पर काम किये बिना सांप्रदायिक ताकतों से पार नहीं पाया जा सकता, जो कि इस देश के लिए बेहद खतरनाक है। कार्यक्रम के आखिर में प्रश्नोत्तरी सत्र रखा गया। इसमें दर्शक दीर्घा से कई सवाल उठाये गये। जिनमें इतिहास को बदलने से लेकर वर्तमान सरकार के रवैये पर चिंता व्यक्त करते हुए सवाल उठाए गये। सभी प्रश्नों का जवाब प्रो. पुनियानी ने सहजता से दिया। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे अपनाने पर जोर दिया कि बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखे कोई समाज जागरुक नहीं हो सकता। अतिथियों के स्वागत के साथ ही राम पुनियानी को उनके सतत सामाजिक कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रशस्ति पत्र भेंटकर उनका सम्मान किया गया। प्रशस्ति पत्र का वाचन सुरेखा जांगड़े ने किया। अधिवक्ता कॉमरेड ओ.पी.सिंह ने सम्मान पत्र दिया।

विशिष्ट अतिथि भूतपूर्व मंत्री सत्य नारायण शर्मा ने कहा आज जिस तरह से समाज को बांटा जा रहा है, ऐसा पहले नहीं हुआ। इनसे सावधान रहने की जरूरत है। मौजूदा सत्ता देश को रसातल में ले जा रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के राज्य महासचिव अरुणकांत शुक्ल ने की। एडवोकेट लखन सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम की शुरुआत इप्टा के कलाकार निसार अली व उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत जनगीतों के साथ हुई। एप्सो, इप्टा, प्रलेस, जसम, जलेस, सीटू, एटक, कसम, मुस्लिम इंटलेक्चुअल फोरम, इंडियन लॉयर्स एसोसिएशन, प्रगतिशील महिला संघर्ष समिति, बैंक एसोसिएशन, बी.एस. एन. एल. कर्मचारी एसोसिएशन, क्रिस्चियन, मुस्लिम व सिक्ख समुदाय द्वारा देश की सांझी शहादत व सांझी विरासत बनाये रखने के लिए मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। विभिन्न जनसंगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दर्शकों की उपस्थिति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वृंदावन हॉल में अलग से कुर्सियां लगानी पड़ी। मंच संचालन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता व डॉ. अशोक शिरोडे ने किया। तुहिन देव ने आधार वक्तव्य दिया ।