इमरजेंसी बल्ब और चार्जेबल टॉर्च की बढ़ी मांग
भाटापारा । भला हो मौसम के बनते-बिगड़ते तेवर का, जिसने जमीन पर आ चुकी बिजली सामान बेचने वाली संस्थानों को फिर से खड़ा होने का मौका दिया। यह क्षेत्र अब इमरजेंसी लाइट की निकल रही मांग से बेहद खुश है।
प्री-मानसून मेंटेनेंस। तारों पर आ चुकी पेड़ों की टहनियों को काटने जैसी प्रक्रिया के बाद बिजली विभाग भले ही उपभोक्ताओं की खरी-खोटी का सामना कर रहा हो, लेकिन इस कवायद ने ऐसी संस्थानों को, फिर से पटरी पर लाने का काम किया है, जो बीते 1 साल से गंभीर अर्थ संकट का सामना कर रहे हैं। यह क्षेत्र अब सारा दिन इमरजेंसी लाइट से अंधेरा दूर कर रहा है।
इस कीमत पर रोशनी
इस कीमत पर रोशनी
चलन में इस समय इमरजेंसी बल्ब है। बिना गारंटी वाले ऐसे बल्ब 150 से 200 रुपए में मिल रहे हैं। गारंटी वाले बल्ब की खरीदी पर 300 से 370 रुपए लगेंगे याने हर क्रय शक्ति वाले उपभोक्ता के लिए यह क्षेत्र इमरजेंसी बल्ब उपलब्ध करवा रहा है ।रोज पहुंच रहे उपभोक्ताओं में लगभग 75 फ़ीसदी ऐसी ही मांग वाले हैं।
कृषि क्षेत्र सबसे आगे
इमरजेंसी बल्ब के अलावा चार्जेबल टॉर्च की भी मांग निकल चुकी है ।सबसे ज्यादा मांग कृषि क्षेत्र से आ रही है। खरीफ सत्र की शुरुआत होने के बाद यह उपभोक्ता चार्जेबल टॉर्च की खरीदी कर रहा है। जो 250 से 300 रुपए और 500 से 700 रुपए की कीमत पर खरीदे और बेचे जा रहे हैं। जैसी मांग है, उससे विक्रेता भी हैरत में है।
भला हो मौसम का
इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स बेचने वाली संस्थानें , मौसम के बनते-बिगड़ते तेवर का शुक्र अदा कर रहीं हैंं। शुक्राने का छोटा सा हिस्सा बिजली विभाग को भी दिया जा रहा है, जो इस समय प्री-मानसून मेंटेनेंस, तारों पर लटक आई पेड़ों की टहनियां काट रहा है। टूटे तार और पोल का गिरना और भी ज्यादा पसंद आ रहा है जिसे फिर से खड़ा करने में घंटों लग रहे हैं।