प्लास्टिक की पन्नी में भी 15 रुपए की तेजी

सतीश अग्रवाल

बिलासपुर। ट्रक और ट्रैक्टर मालिकों को झटका। बारिश से बचाव के लिए खरीदे जाने वाले तिरपाल की खरीदी पर 10 फ़ीसदी ज्यादा पैसे देने होंगे। कच्चे घर की दीवार को बारिश से बचाने की कोशिश को भी महंगाई ने तगड़ा झटका दिया है। इस काम में उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की पन्नियांं किलो पीछे 15 रुपए महंगी हो चुकी है।

पेट्रोल-डीजल की नित बढ़ती कीमतों का असर जैसा फैलाव ले रहा है उससे अब तिरपाल और प्लास्टिक की पन्नी का बाजार भी अछूता नहीं रहा । बारिश की दस्तक के बीच ट्रक, ट्रैक्टर मालिकों के अलावा ट्रांसपोर्ट कंपनियों की पूछ-परख और खरीदारी दोनों निकल रही है लेकिन कोरोना और पेट्रोल- डीजल की बढ़ती कीमत की मार से बेजार, यह क्षेत्र बेहद मजबूरी में तिरपाल की खरीदी कर रहा है। मात्रा कम ही सही लेकिन खरीदी जोर पकड़ चुकी है।


इसलिए आ रही तेजी

प्लास्टिक दाना निर्माण में कच्चा तेल मुख्य आधार है। फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय बाजार काफी तेज है, इसलिए इस की खरीदी पर प्लास्टिक दाना उत्पादन पर इकाइयोंं को अच्छी-खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है। इसका असर बाजार तक पहुंचने वाली प्लास्टिक के हर उत्पादन पर देखा जा रहा है। तिरपाल भी ऐसी ही प्रमुख चीजों में से एक है।
यह है खरीदी क्षेत्र


यह है खरीदी क्षेत्र

बारिश के सीजन में सबसे ज्यादा खरीदी जाने वाली तिरपाल का मुख्य उपभोक्ता बाजार ट्रांसपोर्ट कंपनियां, ट्रैक्टर मालिक के अलावा हर वह क्षेत्र प्रमुख है, जहां इस मौसम में सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसके अलावा सरकारी क्षेत्र में कृषि उपज संग्रहण केंद्र और रेलवे भी, हर बरस अच्छी खासी मात्रा में तिरपाल की खरीदी करता है।


अब इस कीमत पर

साइज और मोटाई के आधार पर चलने वाले इस बाजार में सबसे ज्यादा खरीदी ,90 जी एस एम , 120 जी एस एम मोटाई वाले तिरपाल में होती है। जबकि सामान्य साइज में 12×15, 12×15, 15×18 और 18×24 की मांग ज्यादा रहती आई है। इनकी कीमत क्रमशः 620 रुपए ,750 रुपए ,940 रुपए और 1500 रुपए पर पहुंच चुकी है। साईज जैसे-जैसे बढ़ती जाएगी, कीमत भी उसी अनुपात में बढ़ी हुई मिलेगी।


कच्चे मकानों पर भार

बारिश के दिनों में ग्रामीण क्षेत्र के अलावा झुग्गी-झोपड़ियों की दीवारों को बचाने पर भी इस बार पन्नियों की खरीदी पर किलो पीछे 15 रुपए ज्यादा खर्च करने होंगे क्योंकि हल्की गुणवत्ता वाली पन्नियों की नई कीमत 140 रुपए किलो बताई जा रही है ।यह बीते साल से किलो पीछे 15 रुपए ज्यादा है।

प्लास्टिक का प्रमुख आधार, कच्चा तेल की कीमत में लगातार वृद्धि से प्लास्टिक दाने की कीमत बढ़ चुकी है , जिससे तिरपाल उत्पादन भी महंगा पड़ रहा है। ऐसे में कीमत का बढ़ना स्वाभाविक है।

  • मोहन बजाज, संचालक, बजाज रस्सीवाला, बिलासपुर