6 साल पुराने मामले में आया फैसला
गरियाबंद। असुरक्षित था हल्दी पावडर। खाद्य एवं पेय पदार्थ के विक्रय के लिए अनिवार्य लाइसेंस भी नहीं मिला। दोष सिद्ध होने पर कारोबारी को 10000 का अर्थ दंड और तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है।
खानपान की सामग्री में मिलावट के 6 साल पुराने मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गरियाबंद का फैसला आ गया है। जिसमें संबंधित कारोबारी मनोज माधवानी को अर्थ दंड और कारावास की सजा भुगतनी होगी। फैसले के बाद जिले के खाद्य कारोबार क्षेत्र में खामोशी देखी जा रही है, तो आम उपभोक्ता न्यायालय के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं।
क्या था मामला
मेसर्स प्रताप राय रामचंद्र किराना स्टोर, जो ग्राम छुरा में स्थित है। इस स्थान में 17 जनवरी 2017 को खाद्य सुरक्षा अधिकारी तरुण बिरला ने जांच के दौरान हल्दी पावडर को संदेहास्पद पाते हुए सैंपल लिया था। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की राजधानी स्थित प्रयोगशाला में हुई जांच में यह सामग्री पाई गई। इसे देखते हुए प्रशासन ने मामले को जरुरी औपचारिकताओं के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में पेश किया।
6 साल बाद यह फैसला
17 जनवरी 2017 के इस मामले में 21 दिसंबर 2023 को जो फैसला न्यायालय ने सुनाया है, उसके मुताबिक मेसर्स प्रताप राय रामचंद्र किराना स्टोर्स के संचालक मनोज माधवानी को असुरक्षित हल्दी पावडर बेचने के मामले में दोषी पाया गया है। कारोबार संचालन के लिए जरूरी लाइसेंस भी नहीं था। इसलिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2066 की धारा 26/27/31/ 58 /59 और धारा 63 के तहत अपराध सिद्ध होने पर 10000 का अर्थ दंड और तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई।
पहली बार ग्रामीण क्षेत्र
गरियाबंद के ग्राम छुरा का यह मामला स्पष्ट बता रहा है कि मिलावटी खाद्य सामग्री का बाजार अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पैठ बना चुका है। शहरी क्षेत्र तो हमेशा से जांच के घेरे में आते रहे हैं लेकिन असुरक्षित खाद्य सामग्री जिस तरह गांवों में बेची जा रही है, उसे देखते हुए खाद्य एवं औषधि प्रशासन ऐसे इलाकों की भी सघन जांच के निर्देश खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को दिए जाने के संकेत हैं।