संदर्भ : छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के रतनपुर थाना पास्को कांड
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के “रतनपुर थाना पास्को कांड” विवाद ने छह दिन पूरे कर लिए हैं। इन छह दिनों में तीन छुट्टी ने खा लिया। बाकी के तीन राजनीति…? घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस प्रशासन ने जांच के लिए तीन सदस्यों की टीम गठित कर दी है। जिसे सप्ताह भर में अपनी जांच रिपोर्ट देनी है। जांच के लिए तय मियाद के भी दो दिन पूरे हो गए है। शहर का माहौल भी जस का तस बना हुआ है। अब भी पुलिस प्रशासन के चिंहांकित इलाकों में सुरक्षा के लिए पुलिस के जवान मुस्तैद है। समस्या जस का तस बना हुआ लग रहा है। पीड़िता दुष्कर्म पीड़िता की माँ की रिहाई अब तक नहीं हुई है। वो अब तक केंद्रीय कारागार बिलासपुर में बंदी है। ऐसे में स्वभाविक सवाल है कि आखिर पास्को के दर्ज अपराध में दुष्कर्म पीड़िता की मां की रिहाई होगी कैसे ? वे रास्ते किस ओर से आगे बढ़ते हैं। इसके लिए हर रोज भीड़ खड़ी करने वाले लोग ऐसी कौन सी पहल कर रहे हैं जिससे कि उस अबला की जेल से बाहर आने का रास्ता आसान हो सके। हमारी कानून समझ के मुताबिक पीड़िता के जेल से रिहाई का पहला और आखिरी रास्ता अदालत से ही होकर गुजरता है। इस पर जिस तरह की खबरें चर्चा में है उसे सच मान ले तो इस रास्ते पर जाने की पहल अब तक किसी में नहीं की है। सब इस उम्मीद पर है या भीड़ के दिमाग में यह बात डाल दिया गया है कि पुलिस मामले का खात्मा पेश करे और पीड़ित को बाइज्जत रिहा करे। क्या कानून में ऐसा रास्ता है ? इस रास्ते से पीड़िता की रिहाई संभव है ? ऐसा है तो पुलिस प्रशासन के द्वारा गठित टीम की जांच रिपोर्ट आने में ही चार दिन अभी और लगने है। इसके बाद ही दर्ज अपराध के खात्मे के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। ऐसा है तो पीड़िता के जेल से बाहर आने का रास्ता काफी लंबा होता ही नजर आता है। तो क्या तब तक शहर में ऐसे ही तनाव के हालात बने रहेंगे। हर रोज चौक चौराहे पर शहर के लोगों से अलग अपरिचित उन्मादी चेहरों की भीड़ लोगों में खौफ पैदा करती रहेगी। वहीं इस मामले को लेकर एक नजरिया ऐसा भी कि जमानत के आसरे पास्को में रिहाई का रास्ता हाईकोर्ट की दहलीज पर जाकर खत्म होगा। इसमें लंबा समय लगने से लोग आशंकित है, ऐसे में पुलिस प्रशासन की सप्ताह भर में आ जाने वाली कथित जांच रिपोर्ट का ही इंतजार कर लिया जाए। जांच रिपोर्ट अनुकूल रहा तो इसके आसरे ही निचली अदालत से ही पीड़िता के रिहाई का रास्ता निकल सकता है। इन सब के बीच बड़ा संकट भरोसे का है, जो नकारी व्यवस्था, पुलिस और प्रशासन पूरी तरह खो चुकी है। जिसे हासिल करना फिलहाल तो पुलिस और प्रशासन के लिए दूर की कौड़ी ही है। शहर में शांति बहाली को लेकर पुलिस और प्रशासन की गंभीरता को इससे भी समझ जा सकता हैं कि जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर स्थित रतनपुर में हालात का जायजा लेने अब तक न तो दंडाधिकारी होने के नाते कलेक्टर पहुंचे हैं और ना ही 14 किलोमीटर दूर बैठने वाले अनु विभागीय दंडाधिकारी। ऐसा कर वो शायद राजधानी रायपुर तक मैसेज पहुंचा रहे हैं कि हालात कंट्रोल में है। ऐसी ही खुश फहमी बेमेतरा जिला प्रशासन व पुलिस को भी रही होगी। वहीं जिले के पुलिस अधीक्षक की भी ठसक कुछ ऐसी ही लगती है। पुलिस अधीक्षक शहर की सुरक्षा में तैनात मृत जवान को श्रद्धांजलि देकर संवेदना व्यक्त करने रतनपुर थाना परिसर पहुंचे। इसके बाद भी थाने के ऐसी की ठंडी हवा से इतर शहर के लोगों जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर शहर का तनाव कम करने की जरा सी भी कोशिश नहीं की। इससे तो यही माने सब कुछ अधीनस्थों के आसरे। वो जो कर के दिखा दें। इस सबके बीच आखिर में एक ही सवाल किधर से निकलेगा दुष्कर्म पीड़िता की माँ की रिहाई का सूरज… कौन सा होगा आखिरी रास्ता..?