कम हो रही मांग, बढ़ रही प्रतिस्पर्धा



भाटापारा। अब बर्फ का बाजार भी पल-पल जारी होने वाले मौसम की जानकारी लेने लगा है। यह इसलिए क्योंकि गिने-चुने रह गए हैं, बर्फ की मांग के दिन। मौसम के बाद दूसरी चिंता बाजार पर हिस्सेदारी को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा बन रही है।

बर्फ के लिए चालू कारोबारी साल जिस रूप के साथ उपस्थिति दिखा रहा है, उससे यह क्षेत्र हैरान इसलिए है कि मांग उठते ही मौसम बिगड़ जा रहा है और परेशान इस वजह से हो रहा है क्योंकि दोबारा मांग के लिए कम से कम 3 दिन प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। इसकी वजह से उत्पादन लागत बढ़ जा रही है।

पहली बार

मार्च के दूसरे पखवाड़े से शुरू होने वाले बर्फ बाजार के लिए सीजन का यह तीसरा माह भी बीते दो माह जैसा ही गुजर रहा है। कभी भी बिगड़ जा रहा मौसम और हो रही बारिश को यह क्षेत्र पहली बार संकट के रूप में देख रहा है। इसलिए ईकाइयां और खुदरा बाजार, शाम को जारी होने वाले मौसम की जानकारी लेने लगा है। जानकारी के आधार पर ही अगले दिन की तैयारियां की जा रहीं हैं।

बढ़ रही प्रतिस्पर्धा

मौसम में आ रहे परिवर्तन और गर्मी के बढ़ते दिनों से बर्फ की मांग भी बढ़ने लगी है। इसलिए जिले में 7 से 8 ईकाइयां बर्फ उत्पादन कर रहीं हैं। कारखानों की बढ़ती संख्या से यह क्षेत्र भी प्रतिस्पर्धा के घेरे में आ चुका है, लिहाजा इस स्थिति को संकट की दूसरी वजह मानी जा रही है क्योंकि मांग में अपेक्षित बढ़ोतरी अभी भी नहीं है।

ऐसे हैं भाव

तमाम तरह की दिक्कत के बीच कारोबार कर रहीं बर्फ उत्पादन करने वाली ईकाइयां इस बरस खुदरा बाजार में 10 रुपए किलो की दर पर बर्फ के साथ पहुंच रहीं हैं। आउटर एरिया में इसके लिए एक से दो रुपए ज्यादा देने होंगे। मालूम हो कि बीते बरस की तुलना में चालू साल में दो रुपए किलो की वृद्धि हुई है। कीमत बढ़ने की संभावना नहीं है।