लौटेगी धरती की हरियाली

बारिश के बाद खुद तैयार होंगे पौधे

सतीश अग्रवाल

बिलासपुर। पौधरोपण की तैयारी कर रहीं एजेंसियों के लिए खुशखबरी। एक नई विधा पहुंचने को तैयार है, जो नर्सरी और गड्ढों पर होने वाले खर्च से छुटकारा दिलाएगा। नाम है सीड बॉल। जिसकी मदद से पौधरोपण का काम बेहद आसान होगा।

मानसून करीब आ रहा है। इसी के साथ पौधरोपण की तैयारियां जोर पकड़ने लगीं हैं। यदि नई विधि अपनाई गई, तो इस बार पौधरोपण का लक्ष्य ना केवल आसानी से पूरा किया जा सकेगा बल्कि इस पर होने वाली भारी भरकम खर्च की राशि में कमी भी लाई जा सकेगी। सीड बॉल की पहुंच और स्वीकार्यता के बाद बिगड़ते पर्यावरण को सुधारने में भी मदद मिलेगी।

क्या है सीड बॉल

खेत की मिट्टी ,वर्मी कंपोस्ट खाद और चयनित प्रजाति के पेड़ों के बीज के मात्र दो दाने, इन तीनों को मिलाकर हल्की नमी देने के बाद बॉल याने गेंद का रूप देना होगा। अनुकूल मौसम देख कर उस जगह, यह रखे जाएं ,जहां पौधरोपण किया जाना है। बाद के सारे काम प्रकृति करेगी। अंकुरण के बाद सुरक्षित करने का काम अवश्य करें ताकि इनकी वृद्धि को बल मिल सके।

क्यों सीड बॉल

सीड बॉल की विधि विकसित करने के पीछे जो सोच है, वह यह कि हर साल पौधरोपण का लक्ष्य तो होता है लेकिन पूरे नहीं हो पाते। कभी मौसम बाधा बनती है, तो कभी पौधों की चाही गई मात्रा का नहीं मिलना समस्या बनती है। इसके अलावा भारी भरकम खर्च भी तीसरी वजह है। इन तीनों कारणों को देखते हुए सीड बॉल को सभी समस्या का हल माना गया है।

यह लाभ सीड बॉल से

सवाल उठाया जा सकता है कि बीज कहां से मिलेंगे ?जवाब यह दिया जा रहा है कि रोड साइड के पेड़ों से गिरने वाले बीज एकत्र किए जा सकते हैं। इनमें सहज उपलब्धता वाले नीम, आंवला, जामुन ,हर्रा, बहेरा ,साल ,इमली, सरई, आम, मुनगा और गंगा इमली मुख्य हैं ।बता दें कि पौधरोपण में पीपल और बरगद के बाद इन्हीं प्रजातियों के पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती रही है।

बीज रोपण की कारगर तकनीक

हम सभी जानते हैं कि हमारे अस्तित्व और कल्याण के लिए पेड़ और पौधे कितने महत्वपूर्ण हैं लेकिन हम में से कितने लोग नियमित रूप से पेड़ लगाते हैं? यदि आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो यह समय है जब आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए जो कुछ भी प्रयास कर सके उन्हें करना चाहिए। सीड बॉल निश्चित रूप से अपने आसपास हरियाली लाने में कारगर सिद्ध होगा।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर