वानिकी वृक्षों की भीड़ में नया नाम



बिलासपुर। नाम है ग्लिरिसिडिया। काम है भूमि का कटाव रोकना और नाइट्रोजन की मानक मात्रा को बनाए रखना। वानिकी वृक्षों की कई प्रजातियों की भीड़ में यह प्रजाति भी अब पहचान बनाती नजर आ रही है। यह इसलिए क्योंकि इसमें कई ऐसी समस्या दूर करने के गुणों का खुलासा हुआ है, जिससे किसान हर बरस परेशान होते हैं।

वृक्ष संपदा योजना की बढ़ती लोकप्रियता के बीच वानिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे वृक्ष की खोज की है, जिसमें कई तरह के गुण हैं। लिहाजा वन विभाग की नर्सरियों में इसके पौधे बड़ी संख्या में न केवल तैयार हो रहे हैं, बल्कि मांग के अनुसार उपलब्ध भी होने लगे हैं। निजी क्षेत्र की नर्सरियों की भी मांग निकलती देखी जा रही है।

जानिए ग्लिरिसिडिया को

शुष्क क्षेत्रों में पर्णपाती होता है। अधिक वर्षा या साल भर नमी वाले क्षेत्रों में यह सदाबहार रहता है। जल-भराव वाली भूमि पर यह ज्यादा बढ़वार नहीं लेता लेकिन रेतीली, दोमट, हल्की क्षारीय भूमि पर इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम के अलावा शेष भारत में यह सभी जगह मिलता है।

यूरिया का प्राकृतिक विकल्प

ग्लिरिसिडिया की हरी पत्ती से लगभग 21 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.5 किलोग्राम फास्फोरस, 18 किलो पोटेशियम, 85 ग्राम जिंक, 164 ग्राम मैग्नीज, 365 ग्राम कॉपर, 78 ग्राम आयरन तो मिलता ही है, साथ में सल्फर, कैलशियम, मैग्निशियम जैसा तत्व भी प्राप्त करता है। यह सब मिलकर मिट्टी के जैविक गुणों को बढ़ाते हैं।

रोकता है मिट्टी क्षरण

बेहद अनोखा है ग्लिरिसिडिया। इसकी जड़ों में मिले गुणों की वजह से यह सतह की मिट्टी का क्षरण तो रोकता ही है, साथ ही सतह की जमीन पर नाइट्रोजन की मात्रा को भी बनाए रखता है। इसकी वजह से इसे भूमि कटाव वाले क्षेत्रों के लिए बेहद अहम वृक्ष माना गया है। पौधरोपण में नदी तटों में इसके रोपण की सलाह दी गई है।

कीट विकर्षक

प्रकृति ने इसे कीट विकर्षक वृक्ष के रूप में जो वरदान दिया है इससे किसानों को लाभ ज्यादा होगा क्योंकि जहां पर इसके वृक्ष मिलेंगे वहां की फसलें कीट व्याधि जैसी परेशानी दूर रहेगी। दिलचस्प यह कि इससे चूहे दूर रहते हैं। इसलिए लगी फसल चूहों के नुकसान से सुरक्षित रहेगी।

बंजर भूमि के सुधार हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रजाति


ग्लिरिसिडिया को बंजर भूमि के सुधार हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रजाति के रूप में जाना जाता है । हरी खाद के रूप में, ग्लिरिसिडिया मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ को बढ़ाता है; यह मिट्टी के पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में सहायता करता है । यह मिट्टी के वातन में भी सुधार करता है और मिट्टी के तापमान को कम करता है । यह एक सूखा- प्रतिरोधी और मूल्यवान जल-संरक्षण प्रजाति है, क्योंकि शुष्क मौसम में इसकी अधिकांश पत्तियां झड़ जाती है, इसलिए वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से पानी की कमी को कम करता है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर