पौधरोपण के लिए पहुंची मांग नर्सरियों में



बिलासपुर। धामन। चौंका रहा है नर्सरियों को यह नाम। मांग में इसलिए आ रहा है क्योंकि वानिकी वृक्षों की यह प्रजाति भी चिलचिलाती धूप में ही बढ़वार लेती है। इसलिए यह मैदानी क्षेत्र में रोपण के लिए मांगी जा रही है।

तेज धूप के साथ बढ़ती गर्मी के बीच पौधरोपण की तैयारियां भी जोर पकड़ने लगी हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की वन संपदा योजना के बाद वानिकी वैज्ञानिकों ने ऐसी प्रजातियों की खोज चालू कर दी है, जो बदलते मौसम और भीषण गर्मी सहन करने की क्षमता रखती है। इस खोज में धामन, नया नाम माना जा रहा है,क्योंकि यह प्रजाति भी तेज धूप और चुभती गर्मी में ही तैयार होती है।

इस तापमान पर बढ़वार

मेड़ों पर शीघ्रता से तैयार होने वाला धामन भी उच्च प्रकाश पसंद करता है। तेज धूप और चुभती गर्मी जैसे मौसम के बीच इस प्रजाति को 38 से 40 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर में अच्छी बढ़वार लेने वाला माना गया है। अपने छत्तीसगढ़ के लिए यह प्रजाति भी बेहतर मानी गई है।

देता है आदर्श हरा चारा

धामन की पत्तियों को आदर्श हरा चारा माना गया है। अनुसंधान में धामन को पांच साल की उम्र में हरा चारा देने वाले वृक्ष के रूप में पहचान मिली हुई है लेकिन जहां हरा चारा की दिक्कत आई है,वहां इसके 4 वर्ष की उम्र के वृक्ष की पत्तियां भी चारा के उपयोग में लाई जा सकती है। अपने 10 वर्ष के संक्षिप्त जीवन काल में यह 500 से 700 टन हरा चारा देने में सक्षम है।

बनती है यह सामग्री

धामन के परिपक्व वृक्ष की टहनियों से उच्च गुणवत्ता वाला रेशा निकाला जाता है। उपयोग क्षेत्र ऐसी ईकाईयां हैं, जो देश स्तर पर रस्सियों की मांग को पूरा करती है। छाल से बनाए जाने वाले अर्क की खरीदी शैंपू उत्पादन करने वाली यूनिटें करती हैं। लकड़ियों को 10 से 12 टन सूखा बायोमास देने वाला माना गया है।

सर्वश्रेष्ठ चारा प्रजाति
एक छोटा पेड़, इसके कई कृषि वानिकी उपयोग है । यह एक अच्छा चारा प्रजाति है, खासकर सर्दियों में जब कोई अन्य पत्तेदार हरा चारा उपलब्ध नहीं होता है। धामन मवेशियों द्वारा सबसे अधिक पसंद की जाने वाली प्रजातियों में से एक है। इसकी लकड़ी का उपयोग धनुष और उपकरण के हैंडल बनाने के लिए किया जाता है ।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर