“नशे को ना जिंदगी को हां” को ही करे सार्थक पुलिस
सप्ताह भर में ही कर लिए गए हैं 15 प्रकरण दर्ज, ज्यादातर मामले एक खास वर्ग के लोग ही शिकार
रतनपुर थाना पुलिस की कार्रवाई की विवेचना
रतनपुर। नए साल के पहले महीने में रतनपुर थाना पुलिस सार्वजनिक जगह पर शराब पीने व तस्करी के सिर्फ चार मामले दर्ज हुए थे। वहीं फरवरी महीने के पहले सप्ताह में ही अब तक ऐसे 15 अपराध दर्ज कर लिये गए हैं। पुलिस अब सूंघ- सूंघ (चख कर नहीं) कर भी शराब पीने के आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर रही है। खास बात ये भी है कि दर्ज अपराधों के अधिकतर चश्मदीद गवाह के दर्ज नाम भी एक ही है। जिन पर अपराध दर्ज हुए हैं उनमें आधे से ज्यादा एक खास वर्ग से आते हैं। जिनको जागरुक करने और सहुलियतें देने शासन ने तमाम तरह की योजनाएं चला रखी है। ये तबका ही सबसे ज्यादा शोषण और भयादोहन का शिकार है। ऐसे में नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक संतोष सिंह की “निजात” पर सवाल उठना स्वाभाविक है। “नशे को ना जिंदगी को हां” सार्थक होना ही चाहिए। इससे ही बेहतर और जीने के लायक समाज बनेगा।
बिलासपुर जिले में नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह की पहचान कम्युनिटी पुलिसिंग व नवाचार करने के लिए भी हैं। खास कर नशे को लेकर जहाँ भी पदस्थ रहे हैं किशोरों और युवाओं को नशे से दूर रखने जन जागरूकता लाने सकारात्मक पहल करते है। उनकी एक पहचान “निजात” अभियान को लेकर भी है। बिलासपुर जिले में भी इसकी शुरुआत कर दी है। निजात यानी छुटकारा, मुक्ति, आजादी. किससे नशे के चंगुल से। ऐसे में उनकी मंशा युवाओं को नशे से आजादी दिला कर बेहतर समाज निर्माण की ही होगी न कि सार्वजनिक जगहों पर शराब पीने के अपराधियों से भरे समाज बनाने की। वहीं जमीन पर पुलिस कर क्या रही है ? इसे समझने के लिए बिलासपुर जिले के रतनपुर थाना पुलिस द्वारा बीते सवा महीने में की गई कार्रवाई पर हमने इस नजरिये से विश्लेषण किया है।

पुलिस ने जनवरी महीने में अवैध रुप से शराब बेचने व तस्करी करने के दो और सार्वजनिक जगह पर शराब पीने के दो मामले को मिलाकर चार मामलों में ही अपराध दर्ज किया गया था। वहीं नए पुलिस अधीक्षक के कार्यभार ग्रहण करने के बाद फरवरी महीने के बीते आठ दिनों में सार्वजनिक जगह पर खुले में शराब पीने के 14 मामलों में अपराध दर्ज कर 15 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। वहीं कच्ची महुआ शराब बेचने के सिर्फ एक आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। सार्वजनिक जगह पर शराब पीने का अपराध दर्ज करने के लिए डाक्टर से आरोपी का मुलाहिजा भी कराया जाता है। इनमें से कई मामलों में पुलिस ने सूंघ कर ही पता लगा लिया कि आरोपियों ने शराब का सेवन किया है, और उनके खिलाफ आबकारी अधिनियम 2015 की धारा 36 च के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है।

एक पउवा की बोतल में कुछ मात्रा की जब्ती
सार्वजनिक जगह पर शराब पीने के दर्ज अपराधों के अधिकतर मामलों में 180 एमएल की बोतल में कुछ मात्रा बची हुई शराब व डिस्पोजल गिलास जब्त किए गए हैं। ऐसे में शासन को सरकारी शराब दुकान के अहाता में ही बैठकर पीने की बाध्यता और शराब की बोतल बाहर लेकर जाने पर ही रोक लगानी चाहिए।
… तो कुछ मिले निजात
छत्तीसगढ़ सरकार की सरकारी शराब दुकान ग्राम कलमीटर रोड पर है। जहाँ बैठकर शराब पीने के लिए अहाता की भी व्यवस्था है। खंडोबा मंदिर के बाद सरकारी शराब दुकान तक सड़क के दोनों ओर झाड़ियां और घने पेड़ पौधे भी है। इन्ही के ओट पर कई चखना दुकानें भी है। जिनसे पुलिस और आबकारी अमला रंगदारी वसूलती है। इन पर कोई कार्रवाई हो तो कुछ “निजात” मिले।