तेजी से पहुंच रहा बाजरा, रसोई घरों में

बिलासपुर। ‘श्री अन्न’ का संबोधन सम्मान है उस मोटा अनाज का, जिसे गरीबों का भोजन कहा जाता था लेकिन अनुसंधान में मिले औषधिय तत्वों ने मोटा अनाज में बाजरा को ऐसी खाद्य सामग्री बना दी है, जिसकी मदद से आम हो चली कई स्वास्थ्यगत परेशानियां दूर की जा सकेंगी।

मोटा अनाज में बाजरा पर हुए अनुसंधान और उसके उत्साहवर्धक परिणाम के बाद 2023 को विश्व बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। बाजार और उपभोक्ता मांग से अब यह रसोई घरों में अपने लिए विशेष जगह बना रहा है। इसी के साथ दैनिक आहार में जिस गति से शामिल किया जा रहा है, उससे हैरत में हैं उत्पादक राज्य। यह सब कारक मिलकर उस किसान के पास पहुंच रहे हैं, जिसे पहली बार मोटा अनाज की बोनी के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना से जोड़ा जा रहा है।

इसलिए रसोई घर में

घटाता है वजन। बाजरा में अन्य खाद्य सामग्री की तुलना में ज्यादा कैलोरी होती है। इसलिए यह पचने में ज्यादा समय लेता है और भूख कम लगती है। यही वजह है कि आहार की मात्रा कम लेनी पड़ती है। जिसकी वजह से वजन नहीं बढ़ता। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी गजब की होती है बाजरा में। यह इसलिए क्योंकि इसमें मैग्नीशियम, मैग्निज, फास्फोरस और जिंक की मात्रा अच्छी-खासी होती है।

रोकता है अस्थमा

अस्थमा। ऐसी आम बीमारी, जिससे बच्चे भी पीड़ित हो रहे हैं। दैनिक आहार में बाजरा को शामिल करने की सलाह इसलिए दी जा रही है क्योंकि इसमें उच्च फाइबर और प्रोटीन का होना पाया गया है। उच्च संरचना होने की वजह से यह धमनियों में रुकावट को दूर रखने में मदद करता है। साथ ही खराब कोलेस्ट्रोल को भी दूर रखता है। इसकी वजह से अस्थमा नहीं होता।

अब श्री अन्न

विश्व बाजरा वर्ष 2023 को अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोटा अनाज को ‘श्री अन्न’ शब्द से संबोधित किया जिसे सम्मान माना जा रहा है, उस मोटा अनाज का, जिसे अब तक गरीबों का भोजन कहा जाता था। बताते चलें कि मोटा अनाज में बाजरा, ज्वार, रामदाना, कोदो, कुटकी, रागी, सांवा और चीना जैसे अनाज मुख्य हैं।

मेडिशनल प्रॉपर्टीज भरपूर

दैनिक आहार में जिन मेडिशनल प्रॉपर्टी का होना आवश्यक है, वह बाजरा में भरपूर मात्रा में है। जिसकी वजह से कई स्वास्थ्यगत समस्याएं दूर करने में मदद मिलती हैं।

  • डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर