कीमतें बढ़ी फिर भी कम नहीं हुई पंचाग की मांग
बिलासपुर। शुभ मुहूर्त की खोज महंगी पड़ रही है क्योंकि पंचांग की कीमतों में 5 से 6 रु की वृद्धि हो चुकी है। तेजी के बावजूद खरीदी को लेकर जैसा रुझान आया हुआ है, उससे पंचांग की बिक्री का नया रिकॉर्ड बन सकता है।
बीते दो बरस, महामारी के दौरान बंदिशोंं के बीच गुजरे। अब कागज उत्पादन के लिए जरूरी पल्प की कमी का सामना कर रहीं हैं कागज बनाने वाली इकाइयां। महंगे में हो रही पल्प की खरीदी के बाद पहला असर कापी-किताब की बढ़ती कीमत के रूप में देखा गया। अब कैलेंडर और पंचांग में तेजी का असर देखा जा रहा है। जहां हर पंचांग की कीमत 5 से 6 रुपए बढ़ चुकी है।
पहला असर शुभ लग्न पर
शादियों के दिन चालू हो चुके हैं। इसलिए पहली मांग पंडित- पुरोहितों की निकली हुई है। पंचांग की खरीदी के लिए यह वर्ग हमेशा से शीर्ष पर रहता आया है क्योंकि पूरे साल जरूरत पड़ती है। लिहाजा यह उपभोक्ता वर्ग, पहली मांग लेकर पहुंच रहा है। मालूम हो कि यह क्षेत्र सगाई और शादियों के लिए जरूरी शुभ लग्न देखने पंचांग की खरीदी कर रहा है।

मंदिर देवालयों की भी मांग
हर माह पड़ने वाले व्रत, पर्व के लिए दिन और शुभ लग्न बताने वाले मंदिर और देवालयों की खरीदी ने भी जोर पकड़ा हुआ है। फिलहाल यहां प्राण प्रतिष्ठा और संस्थानों तथा गृह प्रवेश की शुभ तारीखों की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं जरूरतमंद।
पूछ-परख यहां से
बोनी की शुभ तिथि जानने के लिए किसान भी खरीदता रहा है पंचांग। खरीफ के बाद रबी की बोनी पूरी कर चुके किसान आगत खरीफ के लिए तैयारी चालू कर चुके हैं। खरीदी तो चालू नहीं हुई है लेकिन पंचांग में दरों को लेकर पूछताछ शुरू हो रही है। इस साल यहां से अच्छी खरीदी की उम्मीद है क्योंकि फसल उत्पादन का नया रिकॉर्ड बन रहा है।

बढ़ गए दाम
पंचांग में श्री देव पंचांग हमेशा से मांग के शिखर पर रहता आया है। शिखर पर इस बार भी बना हुआ है। इसकी खरीदी पर 90 रुपए खर्च करने होंगे। ऋषि प्रसाद मांग के दूसरे क्रम पर है। इसकी खरीदी 92 रुपए में की जा सकेगी। यह इसलिए क्योंकि यह रंगीन है। श्री गणेश पंचांग की नई दर 60 रुपए तय की जा चुकी है।
पल्प का आयात बंद है। इसलिए कागज उत्पादन करने वाली यूनिटों को ऊंची कीमत में पल्प की खरीदी करनी पड़ रही है। यही वजह है कि पंचांग की कीमत बढ़ी हुई है।
– हिमांशु मिश्रा, श्री महावीर पुस्तकालय, बिलासपुर