मुख्य सूचना आयुक्त का अजब-गजब फैसला
चाही गई जानकारी देने आदेश नहीं
बिलासपुर। सूचना का अधिकार के तहत दोषी जनसूचना अधिकारी पर हुए जुर्माने से सरकार की 25 हजार रुपए कमाई हो गई । अपीलार्थी के खिलाफ जांच की अनुशंसा भी कर दिया, पर जिस मकसद से मामला मुख्य सूचना आयुक्त की कोर्ट में पहुंचा उस पर फैसले में एक लाइन की टिप्पणी नहीं हुई। ऐसा अजब-गजब फैसला छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग से आया है।
अपीलार्थी सतेंद्र वर्मा ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (1) के तहत जन सूचना अधिकारी कार्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा में 20 सितम्बर 2019 को आवेदन प्रस्तुत कर विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिल्हा को प्राप्त आकस्मिक निधि आबंटन व्यय किए गए बिल भुगतान की सत्यापित प्रति मांगी गई। जन सूचना अधिकारी द्वारा तय समय में मांगी गई जानकारी नहीं दी। इस पर उन्होंने प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर के समक्ष अपील पेश की। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने सुनवाई में मांगी गई जानकारी अपीलार्थी को देने का आदेश 19 दिसम्बर 2019 को पारित किया। इसकी भी अवहेलना कर जन सूचना अधिकारी ने अपीलार्थी को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
इस पर अपीलार्थी ने द्वितीय अपील छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग अटल नगर जिला रायपुर छग में की। अपील प्रकरण क्रमांक ए/1073/2020 में मुख्य सूचना आयुक्त एम के राउत द्वारा पारित आदेश दिनांक 18 अगस्त 2021 में प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के उपरांत भी आवेदक को जानबूझकर जानकारी से वंचित रखने, सूचना का अधिकार की धारा 7 (1) का उल्लंघन करने व प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश का पालन नहीं करना प्रमाणित होने पर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत पीएस बेदी जन सूचना अधिकारी बिल्हा जिला बिलासपुर पर पच्चीस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
डीईओ को वेतन से जुर्माना काटने आदेश
आयोग ने आदेश की कापी जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर जिला बिलासपुर को प्रेषित कर निर्देशित कर बीईओ बीएस बेदी के वेतन से जुर्माना की राशि नियमानुसार कटौती कर शासकीय कोष में जमा करने निर्देशित किया है। वहीं जन सूचना अधिकारी बिल्हा के द्वारा आवेदक पर लगाए गए आरोप की जांच सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (1) के तहत वरिष्ठ अधिकारी से कराने की अनुशंसा कलेक्टर बिलासपुर से की है।
क्या कहता है धारा 20(2)
20(2) जहां किसी शिकायत या अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना आयोग की यह राय है कि, यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, किसी युक्ति युक्त कारण के बिना और लगातार सूचना के लिए कोई आवेदन प्राप्त करने में असफल रहा है या उसने धारा सात की उप धारा एक के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है. या असद्भाव पूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इनकार किया है या जानबूझकर गलत अपूर्ण या भामक सूचना दी है या एसी सूचना को नष्ट कर दिया है जो अनुरोध का विषय थी या किसी रीति से सूचना देने में बाधा डाली है वहां वह यथा स्थिति, ऐसे केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध उसे लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगा.