तैयार उत्पादन में मांग कमजोर

भाटापारा। धान मजबूत लेकिन पोहा में घटते कारोबार से ईकाइयों का नियमित संचालन अब बेहद कठिन हो चला है। इसलिए उत्पादन घटाने या काम की अवधि कम करने जैसे उपायों पर विचार किया जा रहा है।

संकट में हैं पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयां क्योंकि बूते से बाहर जा चुकीं हैं पोहा क्वालिटी के धान की कीमत। इससे  पोहा की जो कीमत आई, उसे उपभोक्ता राज्यों के बीच बहुत ज्यादा माना जा रहा है। यह अब टूटते बाजार के रूप में ईकाइयों के सामने आ खड़ा हुआ है।

बेहद गर्म धान

समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बीच मंडी प्रांगण पहुंच रहा पोहा क्वालिटी का महामाया धान 2300 पर शुरू होकर अंतिम भाव 2700 रुपए क्विंटल तक जा रहा हैं। प्रतिस्पर्धी खरीदी जिस दिन बढ़ी उस रोज 2800 से 2850 रुपए क्विंटल तक जा पहुंचती है कीमत। ईकाइयां विवश हैं इस दर पर खरीदी के लिए।

तैयार उत्पादन में उठाव नहीं

धान की तेज कीमत स्वाभाविक रूप से उत्पादन लागत बढा़ए हुए है। यही वजह है कि पोहा में प्रति क्विंटल कीमत 4100 से 4500 रुपए पर पहुंची हुई है। उपभोक्ता राज्य महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में यह कीमत तेज मानी जा रही है। इसलिए यह राज्य मांग की मात्रा घटाए हुए हैं। पहली बार लोकल बाजार से भी साथ नहीं मिल रहा है।

बन रही यह सोच

धान महंगा। पोहा में उठाव नहीं। दोतरफा संकट से निपटने के उपाय बेहद सीमित हैं। इन्हीं में से एक, उत्पादन घटाने या  काम की अवधि कम करने जैसे उपाय फिर से प्रभावी करने का विचार कर रहीं हैं ईकाइयां। यह तब तक अमल में लाया जाता रहेगा, जब तक रबी फसल की आवक शुरू नहीं हो जाती। फिलहाल अंतिम
निर्णय नहीं हुआ है।


तैयार उत्पादन में उठाव तो है लेकिन संतोषजनक नहीं है। राहत के लिए विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
– रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा