ओल्ड बैग मंदी की राह पर

भाटापारा। जूट 12 से 20 रुपए और प्लास्टिक 5 से 10 रुपए। बारदाने की कीमत में और टूट की आशंका बनती नजर आ रही है। लिहाजा सड़कों पर लगने वाली दुकानें अब घर वापसी की योजना बना रहीं हैं।

बीता एक माह किसानों के लिए बेहद आपा-धापी के बीच गुजरा। उपार्जन केन्द्रों में समय पर बारदाने नहीं पहुंचने का पूरा लाभ खुले बाजार ने उठाया और ओल्ड जूट बैग 30 रुपए प्रति नग जैसी उच्च दर पर बेच डाला। अब यह कीमत टूटने लगी है। एक बार फिर से सीजन के पूर्व की स्थिति की ओर लौटता नजर आ रहा है ओल्ड जूट बैग।

अब 12 से 20 रुपए

पखवाड़े भर पहले तक 17 से 25 रुपए में खरीदा गया  जूट का बारदाना अब 12 से 20 रुपए प्रति नग पर मिलने लगा है। खुदरा बाजार, कीमत में आती टूट को देखते हुए अब थोक खरीदी से हाथ खींचता नजर आ रहा है क्योंकि मांग में झटके से 50 फीसदी गिरावट आ चुकी है। कुछ ऐसा ही हाल प्लास्टिक के बारदानों का भी है, जिसमें प्रति नग कीमत 5 से 10 रुपए पर आ गई है।

आशंका और टूट की

अंतरजिला खरीदी  कम हो रही है, तो स्थानीय मांग भी घट रही है। इससे ओल्ड जूट और ओल्ड प्लास्टिक बैग की कीमत में और टूट की आशंका बलवती हो रही है। इसलिए खुदरा बाजार पुराने बारदाने में थोक खरीदी की मात्रा तेजी से घटा रहा है। ऐसे में खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयां अब अंतरप्रांतीय  कारोबार में संभावनाएं तलाश रहीं हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश में नए बाजार की खोज जारी है।

इसलिए टूट रही कीमत

समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रहे उपार्जन केंन्द्रों की सूचना पर त्वरित फैसला लिया गया। सघन जांच और चावल मिलों पर सख्त कार्रवाईयां सरकार ने की। जिससे बारदाने की कमी समय रहते दूर करने में सफलता मिली। इसके अलावा बारदाने के लिए बाजार पर निर्भरता भी कम हुई। अब यह समस्या काबू में है इसलिए चिल्हर बाजार मंदी की राह पर है।