मेथी 100, पालक और चौलाई 40-50 रुपए किलो की ऊंचाई पर

बिलासपुर। 100 रुपए किलो मेथी भाजी। इससे भी आगे जा सकती है कीमत। चार दिवस से हो रही बारिश के बाद भाजी फसलें संकट में आने लगी हैं। शेष सब्जी फसलों को बचाने के लिए जल निकास प्रणाली पुख्ता करनी होगी, अन्यथा उनके भी नष्ट होने के आसार बन रहे हैं।

अनवरत बारिश अब सब्जी बाड़ियों के लिए संकट की वजह बनने लगी है। जल जमाव जैसी स्थिति बनती देखकर ऐसे सब्जी उत्पादक किसान सबसे ज्यादा चिंता में है, जिन्होंने बड़े रकबे में भाजी फसलों की बोनी की हुई है। बारिश और जल जमाव के प्रति संवेदनशील मानी जाने वाली भाजी फसलें तेजी से नष्ट होने की ओर हैं। यह तब हो रहा है, जब भाजी फसलों की मांग बढ़ी हुई हैं।
75 फीसदी नुकसान तय

छोटे-छोटे छिद्र। पत्तियों का आकार बेडौल और कटा-फटा होना। समुचित बढ़वार भी नहीं। भाजी फसलों का यह स्वरूप स्पष्ट संकेत दे रहा है कि लगभग 75 फ़ीसदी गुणवत्ता नष्ट हो चुकी है। नई फसल के लिए बोनी का काम फौरन रोकने के अलावा अन्य उपाय नहीं है। क्योंकि शेष 25 फीसदी हिस्सा भी नुकसान के दायरे में आने लगा है।


मेथी भाजी 100 रुपए किलो

भाजी फसलों में इस वक्त 100 रुपए किलो की कीमत के साथ मेथी भाजी सबसे आगे है। पालक में भाव 50 रुपए किलो और चौलाई भाजी में 40 रुपए किलो की कीमत बोली जा रही है। चेंच भाजी 30 रुपए किलो जैसी कीमत के साथ मजबूत है। 40 रुपए किलो जैसी कीमत के साथ लाल भाजी मांग में बराबर बनी हुई है। अमारी भाजी प्रति किलो भाव 30 रुपए पर खरीदी जा रही है।
चुस्त रखें जल निकास प्रणाली

प्रतिकूल मौसम बेल प्रजाति तथा गोभी फसलों के लिए भी संकट बना हुआ है। सब्जी किसानों को सब्जी बाड़ियों में जल निकास प्रणाली को चुस्त रखने की सलाह दी जा रही है ताकि जल जमाव से फसलों को खराब होने से बचाया जा सके। सतत निगरानी को इसलिए आवश्यक बताया जा रहा है क्योंकि मौसमजनित कीट के प्रवेश की आशंका है।


जल जमाव नहीं होने दें
भाजी फसलों के लगभग 75 फ़ीसदी नष्ट होने की आशंका है। जबकि शेष सब्जी फसलों के बचाव के लिए जल निकास प्रणाली चुस्त रखना होगा। सतत निगरानी बनाए रखना आवश्यक है।
– डॉ अमित दीक्षित, डीन, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सांकरा, दुर्ग