बिलासपुर। शौर्य और साहस के पर्याय रहे महाराणा प्रताप की जयंती पर महापौर रामशरण यादव ने उन्हें याद करते हुए महाराणा प्रताप चौक पहुँच उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण किया मेयर ने कहा कि महाराणा प्रताप ने स्वाधिनता और स्वाभिमान के लिए लड़ाई लड़ी थी। वे जात-पात पर विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने पूरे मेवाड़ की लड़ाई लड़ी। मेवाड में सिसोदिया आदिवासी भील राजवंश के राजा थे। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जयवंत कँवर के घर हुआ था।

महाराणा प्रताप की जन्मकुंडली और उस काल की परिस्थितियां एवं भील समाज की परंपरा के आधार पर महाराणा प्रताप का जन्म उनके ननिहाल पाली मारवाड़ में हुआ। 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20000 भीलों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80000 की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण दे कर बचाया और महाराणा को युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला। शक्ति सिंह ने आपना अश्व दे कर महाराणा को बचाया। प्रिय अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें 17000 लोग मारे गए। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा की हालत दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती चली गई । 25000 आदिवासियों को 12 साल तक चले उतना अनुदान देकर भामाशाह भी अमर हुआ। उनका निधन 19 जनवरी 1597 में हो गया। महापौर के साथ देवेंद्र सिंह (बाटू )सिंह, अतुल सिंह, शक्ति सिंह, प्रकाश सिंह, कमल सिंह, आलोक सिंह, विक्रम सिंह, गौरव सिंह, नयन सिंह एवं अन्य स्वजाति बंधुओं ने कोरोना गाइड लाईन का पालन करते हुए महाराणा प्रताप के मूर्ति में माल्यार्पण कर जयंती मनाई गई।