पुराने बारदाने की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में भी मांग नहीं

भाटापारा। आसार बेहतर मांग के नजर नहीं आ रहे हैं। खरीदी तो दूर, पूछ-परख तक नहीं है बारदाना में। इसलिए कीमतों में गिरावट की स्थिति बन चुकी है। दो श्रेणियां में आ रहे पुराने बारदाने में 5 रुपए की कमी के बावजूद किसानों में खरीदी को लेकर रुझान नहीं है।

ओल्ड जूट बैग मार्केट बेहद ठंडा है। पहली बार ऐसी स्थिति के बीच यह कारोबारी क्षेत्र भंडारण से दूर है। इधर शीघ्र तैयार होने वाली धान की प्रजाति परिपक्वता अवधि में पहुंचने लगी है। इसके बावजूद मांग ने दस्तक नहीं दी है। चिंता इसलिए है क्योंकि मरम्मत के बाद तैयार पुराने बारदाने की खरीदी को लेकर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में भी मांग नहीं है।

तैयारी पूरी लेकिन…

इस साल भी ओल्ड जूट बैग मार्केट ने चालू माह के अंत में निकलने वाली मांग की तैयारी पूरी करके रखी हुई है। पहली बार यह क्षेत्र, इसलिए हैरान और परेशान है क्योंकि खरीदी तो दूर पूछ-परख तक नहीं की जा रही है। संकट की आशंका पहले से ही थी, इसलिए भंडारण की मात्रा बेहद कम रखी गई है।

मुकाबला इनसे

प्लास्टिक बैग। शक्कर, आटा, सूजी, मैदा, उर्वरक और पशु आहार की पुरानी हो चुकी प्लास्टिक की बोरियां ओल्ड जूट बैग को कड़ी टक्कर दे रहीं हैं। 6 से 9 रुपए प्रति नग की कीमत में आसान उपलब्धता और बारदाना बाजार की कुल मांग में लगभग 50 से 60 फ़ीसदी की हिस्सेदारी से भी ओल्ड जूट बैग मार्केट चिंता में है।

आने लगी मंदी

ओल्ड जूट बैग मार्केट, स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। मांग का प्रवाह प्लास्टिक बैग की ओर ना बढ़े इसलिए कीमतें कम करके स्थिति को यथावत रखने की कोशिश है। दो बार प्रयोग किये जा चुके 40 किलो भार वहन क्षमता वाले जूट बैग की कीमत 12 से 13 रुपए, तो एक बार प्रयोग किये जा चुके फ्रेश बारदाने की कीमत 22 से 23 रुपए बताई जा रही है।

यह मजबूत

प्लास्टिक और जूट बैग से अलग, सुतली में मांग की स्थिति बेहतर है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की डिमांड से जूट की सुतली 100 से 120 रुपए किलो के अपने पूर्व स्तर पर स्थिर है। चलन में आ रही प्लास्टिक की सुतली में 60, 70 और 80 रुपए किलो की कीमत बताई जा रही है।

By MIG