निकाय क्षेत्र की सड़कों के लिए हो रही तैयारी
सतीश अग्रवाल
बिलासपुर। पैल्टोफोरम टेरोकार्पम, यह उस वृक्ष का नाम है, जिसके पौधों का रोपण नगरीय क्षेत्र की सड़कों के किनारे किया जाएगा। ज्यादा देखरेख की जरूरत का नहीं होना और मिट्टी की किसी भी किस्म में आसानी से तैयार होने वाले गुण ने नगरीय क्षेत्र की सड़कों के लिए इसे उपयुक्त बनाया है।
कचनार, गुलमोहर, अमलतास, सहजन और कदम्ब सहित 16 अन्य प्रजातियों के बीच पैल्टोफोरम भी अब नगरीय क्षेत्रों में नजर आएगा। पौधरोपण के लिए निजी क्षेत्र की नर्सरियों में इसके पौधे तैयार हो चुके हैं तो वन विभाग की नर्सरियां भी मांग की बाट जोह रही हैं। मालूम हो कि पहली बार इसके बीज हाथों-हाथ खरीदे गए हैं क्योंकि नगरीय क्षेत्र के उद्यानों में भी इसकी डिमांड हो रही है।

जानिए पैल्टोफोरम को
उष्णकटिबंधीय पौधा है। सालाना तापमान 27 से 36 डिग्री सेल्सियस अधिकतम और माइनस 7 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी यह बिना अवरोध के ग्रोथ लेता है। 800 मिली मीटर बारिश में भी तैयार होने वाला पैल्टोफोरम प्रतिकूल मौसम में बढ़िया बढ़वार लेने में सक्षम है। तेजी से बढ़ने वाली यह प्रजाति 3 साल में 9 मीटर ऊंचाई तक ग्रोथ ले सकती है। चौथे वर्ष इस में फूल लगते हैं। पहली कटाई और छंटाई के बाद यह अपने वास्तविक स्वरूप में आ जाता है।

छाल और तना से बनते हैं
अनुसंधान में इसकी छाल में टेनिन नामक जिस रसायन की जानकारी मिली है, उसकी मदद से कपास और बुटीक के लिए जरूरी रंग बनाए जाते हैं। टेनिन की यह मात्रा 11 से 21 प्रतिशत मिली है। तना से नाव बनाए जा सकते हैं तो नक्काशीदार जालियां भी बनाई जा सकती है। यही वजह है कि घरेलू उपयोग के लिए बन रही सामग्रियों में पैल्टोफोरम की लकड़ियां अच्छी मांग में हैं।

प्राकृतिक बाड़ भी
कांटा तार और तार जाली जैसी कृत्रिम बाड़ की बढ़ती कीमत, घेराबंदी के काम की लागत बढ़ा रही है। जो किसान अपने खेतों की प्राकृतिक बाड़ बनाने की चाहत रखते हैं उनके लिए पैल्टोफोरम वरदान से कम नहीं है। मजबूत तने और सख्त शाखाएं , प्राकृतिक बाड़ के रूप में ऐसे किसानों की पहली पसंद बन रहे हैं।

उपयोग अलंकारी वृक्ष के रूप में
यह तीव्र गति से बढ़ने वाला वृक्ष है। इस वृक्ष का सबसे महत्वपूर्ण प्रयोग अलंकारी वृक्ष के रूप में है। गुलमोहर के साथ एकांतर पर लगाने से एक अत्यंत मनोहारी दृश्य देखने को मिलता है जिसमें चमकीले पीले और गहरी सिंदूरी रंग के फूल भू-दृश्य की सुंदरता बढ़ाने की होड़ करते दिखते हैं।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर