प्रतिस्पर्धी खरीदी से बारीक में गर्मी
भाटापारा। महामाया 2450 से 2500 रूपये क्विंटल। तेजी का सिलसिला, आगे भी बने रहने के प्रबल आसार हैं। कमोबेश धान की बारीक किस्मों का भी यही हाल है।
एक सप्ताह से हो रही बारिश के बाद आवक के लगभग सारे रास्ते बंद हैं। असर, उस कृषि मंडी पर देखा जा रहा है, जिसके दम पर चावल, दाल और पोहा उत्पादन करने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के पहिए चला करते हैं। आवक वाले पांचों जिलों से सड़क संपर्क टूटा हुआ है। ऐसी स्थिति में मांग और आपूर्ति के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह है कि धान, दलहन और तिलहन में तूफानी तेजी आ रही है।
और गर्म होगा महामाया ?
2450 से 2500 रुपए क्विंटल। कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिवस महामाया धान में बोली गई यह कीमत आगे भी बनी रहेगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बारिश की वजह से आवक के सारे रास्ते बंद हैं जबकि मांग का स्तर पूर्ववत बना हुआ है।
आगे क्या-
समर्थन मूल्य की वजह से नई फसल की आवक सरकारी खरीदी तक कमजोर रहेगी। ऐसी स्थिति में महामाया और दूसरे मोटा धान की खरीदी के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को ऊंची कीमत देनी पड़ सकती है।

इसलिए बारीक में उबाल
विष्णु भोग 3500 से 3600 रुपए क्विंटल। 3000 रुपए क्विंटल की कीमत के साथ ठीक पीछे खड़ा है सियाराम। अंत में 2800 रुपए के नए भाव के साथ, एचएमटी भी उपस्थित हो चुका है। बारीक धान की यह तीनों प्रजातियां, नई फसल की आवक के बाद भी तेज रहेंगी।
आगे ऐसा
समर्थन मूल्य की घोषणा के बाद बारीक धान की खेती का रकबा कम होने की खबर है। ऐसी स्थिति में मांग के अनुरूप उपलब्धता में कमी की आशंका है। असर बढ़ी हुई कीमत के रूप में देखे जा सकते हैं।

आवक पर बारिश का ब्रेक
बेमेतरा, दुर्ग, कवर्धा, मुंगेली और कोरबा। यह जिले प्रमुख कृषि उपज की आवक के लिए जाने जाते हैं। एक सप्ताह से जो बारिश हो रही है, उसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों का सड़क संपर्क टूटा हुआ है। इसकी वजह से मांग के अनुरूप आवक नहीं हो रही है। रास्ता खुलने के बाद ही आवक सामान्य होने की संभावना है।