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की खबर पर लगी मुहर
संवेदनशील मामले में जिला और पुलिस प्रशासन की सुझबुझ भरे पहल और कार्रवाई से मामले का पटाक्षेप
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के “रतनपुर थाना पास्को कांड” विवाद के पूरे ग्यारह दिन बाद सुखद संदेश आया। अदालत में दुष्कर्म पीड़िता की मां की जमानत के लिए अर्जी दी गई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने जमानत मंजूर कर ली। कोर्ट से आदेश जारी होने के बाद सोमवार की देर शाम पीड़िता आरोपी महिला जमानत पर रिहा भी हो गई। इसके साथ ही जिला पुलिस प्रशासन ने भी कड़ी कार्रवाई कर तत्कालीन थाना प्रभारी को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया। वहीं उच्च अधिकारियों को गुमराह करने को लेकर एसडीओपी कोटा को सो काज नोटिस भी जारी करने की बात कही जा रही है। आज की इन कार्रवाईयों से एक तरह से पूरे मामले का सुखद पटाक्षेप कर दिया है। हालांकि पूरे मामले को लेकर अलर्ट प्रशासन ने सोमवार की शाम शहर में पुलिस बल की संख्या बढ़ा कर बेरिकेट्स लगाकर सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था भी की है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर थाना में दुष्कर्म के आरोपी की बुआ के द्वारा अपने नाबालिग बेटे के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने का आरोप दुष्कर्म पीड़िता की माँ पर लगाया। इस मामले में रतनपुर थाना पुलिस ने 19 मई को अपराध दर्ज कर। प्रारंभिक जांच पूरी किए बिना ही आरोपी दुष्कर्म पीड़िता की माँ को आनन फानन में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट के आदेश पर आरोपी महिला को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। दुष्कर्म के आरोपी की रिपोर्ट पर दुष्कर्म पीड़िता की माँ पर पास्को का अपराध दर्ज होने और जेल भेजे जाने पर प्रदेश भर में बवाल मच गया। ब्राह्मण समाज सहित विभिन्न संगठनों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। मामले को लेकर रतनपुर शहर में भी तनाव की स्थिति निर्मित हो गई। शहर के संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस ने सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था किए। मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश भी नाकाम हुई। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक बिलासपुर ने जांच के लिए तीन सदस्यों की टीम गठित की। सप्ताह भर में जांच टीम ने पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट सौपी है। जांच रिपोर्ट में क्या है इसका खुलासा फिलहाल नहीं किया गया है।

वहीं जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस अधीक्षक के द्वारा की गई कड़ी कार्रवाई से तस्वीर साफ-साफ नजर आने लगी है। पुलिस अधीक्षक ने प्रारंभिक कार्रवाई कर पहले थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह को लाइन हाजिर किया फिर जांच रिपोर्ट मिलने के बाद निलंबित भी कर दिया। वहीं अनु विभागीय अधिकारी पुलिस कोटा सिद्धार्थ बघेल को सोकाज नोटिस जारी करने की भी बात कही जा रही है।
इधर सेशन जज स्पेशल कोर्ट पास्को में मामले की सुनवाई हुई। सभी पक्षों, सरकारी वकील, आपत्तिकर्ता, बचाव पक्ष का जिरह सुना गया। पुलिस केश डायरी का भी अवलोकन किया गया। आपत्तिकर्ता के तथ्य संतोष जनक नहीं थे। बहस मामला क्या था पर हुई जिसमें तर्कसंगत रुप से बताया गया कि पास्को के तहत दर्ज मामले में समझौता कराने दबाव बनाने के लिए जेल में बंद आरोपी के पिता की बहन ने दुष्कर्म पीड़िता की मां के खिलाफ पास्को का अपराध दर्ज कराया गया है। तथ्यों और केस डायरी के अवलोकन के बाद न्यायाधीश के जमानत मंजूर कर ली।

गौरतलब हो कि हमने *किधर से निकलेगा रिहाई का सूरज… कौन सा होगा आखिरी रास्ता..?* शीर्षक से 24 मई खबर http://thecentralnews.in/?p=8878
प्रकाशित कर दुष्कर्म पीड़िता की माँ की रिहाई को लेकर सवाल उठाएं थे। … वो अब तक केंद्रीय कारागार बिलासपुर में बंदी है। ऐसे में स्वभाविक सवाल है कि आखिर पास्को के दर्ज अपराध में दुष्कर्म पीड़िता की मां की रिहाई होगी कैसे ? वे रास्ते किस ओर से आगे बढ़ते हैं। इसके लिए हर रोज भीड़ खड़ी करने वाले लोग ऐसी कौन सी पहल कर रहे हैं जिससे कि उस अबला की जेल से बाहर आने का रास्ता आसान हो सके। हमारी कानून समझ के मुताबिक पीड़िता के जेल से रिहाई का पहला और आखिरी रास्ता अदालत से ही होकर गुजरता है। इस पर जिस तरह की खबरें चर्चा में है उसे सच मान ले तो इस रास्ते पर जाने की पहल अब तक किसी में नहीं की है। सब इस उम्मीद पर है या भीड़ के दिमाग में यह बात डाल दिया गया है कि पुलिस मामले का खात्मा पेश करे और पीड़ित को बाइज्जत रिहा करे। क्या कानून में ऐसा रास्ता है ? इस रास्ते से पीड़िता की रिहाई संभव है ? ऐसा है तो पुलिस प्रशासन के द्वारा गठित टीम की जांच रिपोर्ट आने में ही चार दिन अभी और लगने है। इसके बाद ही दर्ज अपराध के खात्मे के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। ऐसा है तो पीड़िता के जेल से बाहर आने का रास्ता काफी लंबा होता ही नजर आता है। तो क्या तब तक शहर में ऐसे ही तनाव के हालात बने रहेंगे। हर रोज चौक चौराहे पर शहर के लोगों से अलग अपरिचित उन्मादी चेहरों की भीड़ लोगों में खौफ पैदा करती रहेगी। वहीं इस मामले को लेकर एक नजरिया ऐसा भी कि जमानत के आसरे पास्को में रिहाई का रास्ता हाईकोर्ट की दहलीज पर जाकर खत्म होगा। इसमें लंबा समय लगने से लोग आशंकित है, ऐसे में पुलिस प्रशासन की सप्ताह भर में आ जाने वाली कथित जांच रिपोर्ट का ही इंतजार कर लिया जाए। जांच रिपोर्ट अनुकूल रहा तो इसके आसरे ही निचली अदालत से ही पीड़िता के रिहाई का रास्ता निकल सकता है। इन सब के बीच बड़ा संकट भरोसे का है, जो नकारी व्यवस्था, पुलिस और प्रशासन पूरी तरह खो चुकी है। जिसे हासिल करना फिलहाल तो पुलिस और प्रशासन के लिए दूर की कौड़ी ही है।