जनप्रतिनिधियों की उदासीनता, टूटती आवक की बन सकती है बड़ी वजह

भाटापारा । प्रदेश की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी सबसे ज्यादा समस्या का सामना कर रही है। किए जा रहे प्रयास इसलिए नाकाफी साबित हो रहे हैं क्योंकि कोशिश में गंभीरता का अभाव देखा जा रहा है।

बीते एक पखवाड़े से मंडी प्रांगण में जैसी अव्यवस्था बनी हुई है उससे किसानों में हताशा देखी जा रही है। मंडी प्रशासन का असहयोगी रूख अभी भी बना हुआ है, तो जनप्रतिनिधियों की उदासीनता, टूटती आवक की बड़ी वजह बन सकती है क्योंकि स्थितियां ऐसा करने के लिए किसानों को मजबूर कर रहीं हैं।

प्रयास नाकाफी

अवकाश के दिनों में कामकाज करके व्यवस्था बहाली के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन स्थितियां बतातीं हैं कि यह उपाय ज्यादा कारगर नहीं हो पा रहा है, यह इसलिए क्योंकि कार्यबल जस-का-तस है। सुझाव दिया गया था कि नीलाम के बाद उपज की भराई संबंधित किसान से करवा ली जाएगी लेकिन नजरअंदाज कर दी गई यह सलाह।

यह असर

प्रस्ताव कहें या सलाह, जिस तरह नजरअंदाज किया गया उसने भराई, तौलाई, सिलाई और लोडिंग जैसे जरुरी कार्यों की गति धीमी कर दी है। यही वजह है कि प्रांगण जाम, सड़कों पर कृषि उपज से भारी वाहनों को प्रवेश की प्रतीक्षा में देखा जा रहा है। यह प्रतीक्षा दूसरे दिन ही खत्म हो रही है।

किसान हो रहे हताश

मजबूत कीमत। सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी जैसे शब्द किसानों को आकर्षित नहीं करते। चाहिए समय पर काम, जिसका अभाव यहां चौतरफा देखा जा रहा है। सुनवाई होती नहीं क्योंकि प्रबंधन अपने हिसाब से काम कर रहा है और जनप्रतिनिधियों को बयानों से फुर्सत नहीं है। इसलिए संकेत टूटती आवक के मिल रहें हैं।

प्रयास जारी

भरपूर आवक की वजह से हो रही दिक्कत पर पूरा ध्यान है। दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
-एस एल वर्मा, सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा